युवाओं के इस संगठन ने प्रथम टास्क के रुप में साईकिल को आम व खास सभी के उपयोग में आ सके इसे लक्ष्य बनाया व प्रतिमाह अभिनव साईकिल रैली की शुरुआत की। इसके तहत आदर्श वाक्य रखा साईकिल चलाओ-मत शरमाओं, साईकिल चलाओ-स्वास्थ्य बनाओ, साईकिल चलाओ-प्रदुषण घटाओ, साईकिल चलाओ-ईंधन बचाओ। इसी को आदर्श मानकर तिरंगे की अगवानी में प्रतिमाह साईकिल रैली का अभियान शुरु किया गया।
इसमें सामान्यत: 5-6 किलोमीटर का क्षेत्र का भ्रमण व 20-25 मिनट की यात्रा को शामिल किया गया। आमजन को संदेश दिया गया कि कम से कम सप्ताह में एक दिन साईकिल का उपयोग अवश्य करें। शुरुआत थोड़ी मुश्किल भरी रही व एक-एक कोचिंग सेंटर व विद्यालयों में निवेदन किया गया कि विद्यार्थियों के मानसिक व शारीरिक विकास के लिए टीनएज में साईकिल आवश्यक है व इस आयु में वाहन चलाना गैरकानूनी भी है।
मुख्य चौराहों, मोहल्लों में नाके लगाकर घरवालों को भी समझाया गया कि आपके बेटे/बेटी को साईकिल के लिए प्रेरित करे व आयु के अनुरुप ही वाहन चलाने की अनुमति प्रदान करे। साईकिल रैली की शुरुआत गणतंत्र दिवस की पूर्व दिन 25 जनवरी से की गई व पर्यावरण दिवस, जिला स्थापना दिवस, स्वतंत्रता दिवस, महिला दिवस, बाल दिवस सहित अनेक अवसरों पर थीम रुप में व अलग-अलग क्षेत्र के हिसाब से आयोजित की गई।
इसका प्रभाव यह हुआ कि आमतौर पर बराबर के साथी को बाईक के स्थान पर साईकिल पर देखकर टोकने वाले विद्यार्थियों ने व्यंग्य करना बंद किया व विद्यार्थयों में साईकिल का उपयोग भी बढा। आधुनिक प्रभाव के रुप में आज संगरिया में युवाओं के पास एक से बढकर एक नए नए मॉडल की स्टाइलिश साईकिलें उपलब्ध है। जिनकी कीमत दस हजार से लगाकर पच्चीस हजार रुपए तक है। इसके साथ-साथ अभियान को हरियाली से जोड़ा गया व कैनाल कलोनी स्थित एक खाली स्थान को सुंदर रमणीक पार्क के रुप में विकसित किया।
यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में भ्रमण के लिए लोग पहुंच रहे है। पर्यावरण दिवस पर होगा साईकिल रैली का आयोजन: अभिनव संगरिया द्वारा पर्यावरण दिवस पर मंगलवार को साईकिल रैली का आयोजन किया जाएगा। यह रैली सुबह आठ बजे राठी चौक से शुरू होकर शहर के मुख्य मार्गो से होते हुए अभिनव पार्क में सम्पन्न होगी।
संगोष्ठी का आयोजन अभिनव संगरिया द्वारा पूरे भारत की साईकिल यात्रा पर निकले 22हजार किलोमीटर का सफर कर चुके राईडर राकेश के नेतृत्व में देश में लिंग-भेद समाप्त करने व बेटियों को समाज में समान अधिकार दिलाने को लेकर संगोष्ठियों का आयोजन किया गया। साथ ही जल बचत के लिए राजस्थान पत्रिका के अमृतम जलम अभियान भी सहभागिता रही। बदल गया समय: संगरिया मंडी शिक्षा के क्षेत्र में पुराने समय से अग्रणी रहा है व जिस समय अन्य वाहन कम थे यहां भी साईकिलों की भरपूर संख्या हुआ करती थी।
शिक्षा केंद्र ग्रामोत्थान विद्यापीठ के लगभग संस्थान में विशेषकर साईकिल पार्किंग व साईकिल स्टैण्ड बने हुए थे। छुट्टी के तुरंत बाद का नजारा प्रतिदिन साईकिल रैली का ही रहता था। नई आबादी, मीरा कलोनी, अरोड़वंश धर्मशाला क्षेत्र से छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में ग्रामोत्थान विद्यापीठ जाने के लिए मुख्य बाजार, लंबी गलियों से होकर निकला करते तो नजारा रैली जैसा ही रहता। वर्तमान में आर्थिक सम्पन्नता के चलते स्कूटी व बाईक की संख्या बढी है पर साईकिल अभी भी साईकिल है।
अनेक है साईकिल प्रेमी क्षेत्र में अनेक ऐसे साईकिल प्रेमी है जो घर में मोटरसाईकिल-कार होते हुए अभी भी साईकिल चलाना ही पसंद करते है। इनमें अधिकांश का सेवानिवृत आयु पार होने के बावजूद साईकिल से लगाव कम नहीं हुआ है। इसी क्रम में आर्थिक रुप से सक्षम होने के बावजूद साईकिल का शौंक रखने वाले हंसराज नागपाल वर्तमान में अधिक आयु के चलते साईकिल नहीं चला पाते है परंतु मन में उसके प्रति लगाव बरकरार है।