नागरिकता संशोधन कानून के विरोध (CAA) में दिसंबर माह में वेस्ट यूपी समेत पूरे उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) में हिसंक वारदात हुई। यहां प्रदर्शनकारियों ने तोड़फोड़, आगजनी और पथराव की घटना सामने आई थी। योगी आदित्यनाथ सरकार(yogi adityanath goverment) ने उसी दौरान हिंसा का मुख्य साजिशकर्ता इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India ) को माना और उसपर बैन की तैयारी शुरू की थी। यूपी के डीजीपी ओपी सिंह(UP DGP OP SINGH) ने पत्र भेजकर गृह मंत्रालय से पीएफआई पर बैन लगाने की मांग की थी।
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के बाद अब प्रदर्शनकारियों को फंडिंग करने का आरोप पीएफआई पर लगा है। गृह मंत्रालय ने पीएफआई के अकाउंट में 120 करोड़ रुपये जमा होने का खुलासा किया हेै। गृह मंत्रालय की माने तो इसका शाहीन बाग का कनेक्शन भी सामने आया है। शाहीन बाग में पीएफआई का दफ्तर है। इसकी जड़े केरल के कालीकट से दिल्ली तक है। ज्यादातर रकम वेस्ट यूपी के बिजनौर, शामली और हापुड़ जनपदों से पीएफआई के अकाउंट में डाली गई है। इन्हें आरटीजीएस और एनईएफटी के जरिये जमा कराए गए हैं। बिजनौर डीएम रमाकांत पांडेय ने अभी पीफआई फंड़िग मामले में जानकारी होने से इंकार किया है। हापुड़ के एएसपी सर्वेश कुमार मिश्रा का कहना है कि उनके संज्ञान में इस तरह का कोई मामला सामने नहीं आया है।
दिसंबर माह में सीएए को लेकर यूपी में तोड़फोड़, आगजनी और पथराव की घटना हुई थी। वेस्ट यूपी में इस दौरान कई लोगों की जान चली गई थी। इन दंगों में पीएफआई का नाम सामने आया था। दिसंबर से पीएफआई के 14 सदस्यों समेत 28 लोगों को गिरफ्तार किया गया। आरोप लगा था कि ये सभी सीएए को लेकर लोगों को उकसाने का प्रयास कर रहे थे।
पीएफआई 23 राज्यों में का अपनी पकड़ बनाने के साथ—साथ ही पहली बार 2006 में सुर्ख़ियों में आया। उस दौरान दिल्ली के राम लीला मैदान में संगठन की तरफ से नेशनल पॉलिटिकल कांफ्रेंस का आयोजन किया। देश के मुस्लिमों के अलावा देश के दलितों और आदिवासियों पर होने वाले अत्याचार का यह संगठन मुद्दा उठाता रहा है। इसके अलावा खुद को स्वतंत्रता, न्याय और सुरक्षा का पैरोकार भी बताता है। पीएफआई का पहले से ही पुराना नाता रहा है। यह स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेट ऑफ इंडिया यानी सिमी की बी विंग भी कहा जाता है। 1977 में संगठित हुई सिमी पर 2006 में प्रतिबंध लगा दिया गया था। पीएफआई की कार्यप्रणाली सिमी जैसी ही मानी जाती है। 2012 में भी इस संगठन को बैन करने की मांग उठ चुकी है।