ग्रीष्मकालीन मूंग फसल के लिए नहर का पानी कब से मिलेगा तय नहीं हो सका
– जिले की दोनों प्रमुख नहरों से 25 हजार हेक्टेयर रकबे में दिया जाएगा नहर का पानी
ग्रीष्मकालीन मूंग फसल के लिए नहर का पानी कब से मिलेगा तय नहीं हो सका
हरदा। जिले में ग्रीष्मकालीन मूंग फसल के लिए तवा कमांड की नहरों का पानी मिलने को लेकर असमंजस बढ़ते जा रहा है। यदि मिलेगा तो कब से, यह फिलहाल तय नहीं है। जल संसाधन विभाग ने पहले जिले के १६५०० हेक्टेयर में पानी देने की योजना का प्रस्ताव रखा था। किसानों की मांग पर इसे बढ़ाकर २५ हजार हेक्टेयर पानी देने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
उल्लेखनीय है कि विभाग ने पहले 1 अप्रैल से पानी छोडऩे की घोषणा भी की थी। बताया जाता है कि बाद में अधिकारियों को लॉकडाउन का उल्लंघन होने का अंदेशा होने लगा। इसके चलते शासन से मार्गदर्शन मांगा गया। विधायक कमल पटेल ने भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से इस बाबत चर्चा की थी। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की थी कि किसानों को नहर का पानी दिया जाए, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो। विधायक के अनुसार मुख्यमंत्री इस बात पर राजी भी हो गए हैं। इधर, जल संसाधन विभाग के हरदा संभाग के प्रभारी कार्यपालन यंत्री राकेश दीक्षित के मुताबिक नहर में पानी कब से छोड़ा जाएगा यह फिलहाल तय नहीं है। उधर, विभाग के अधीक्षण यंत्री एसके सक्सेना से पानी छोडऩे की तिथि जानने को लेकर उनके मोबाइल पर चर्चा का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने दोनों कॉल रिसीव नहीं किए।
10 हजार से ज्यादा लोग रहेंगे घरों से बाहर
हंडिया ब्रांच केनाल (एचबीसी) से जुड़े १२५०० हेक्टेयर रकबे तथा लेफ्ट ब्रांच केनाल (एलबीसी) के इतने ही रकबे में सिंचाई के लिए पानी दिया जाएगा। यानि दोनों नहरों से जुड़े ११३३२ किसानों को पानी मिलेगा। वहीं हरदा व टिमरनी डिवीजन के क्रमश: ८९ और ८२ अधिकारी, कर्मचारी वितरण कार्य संभालेंगे। किसानों के मजदूरों की संख्या इसमें शामिल ही नहीं है। लॉकडाउन के दौरान 10 हजार से ज्यादा लोगों के घरों से बाहर रहने की चिंता में ही विभाग के आला अधिकारियों ने पानी छोडऩे के निर्णय पर पुर्नविचार के लिए शासन से मार्गदर्शन मांगा था। विभाग के अधिकारी फिलहाल स्पष्ट रूप से यह नहीं बता पा रहे हैं कि पानी कब से छोड़ा जाएगा।
बीते साल हुई थी १३५०० हेक्टेयर में बुवाई
उल्लेखनीय है कि प्राकृतिक जलस्रोतों में पानी की कमी के चलते जिले में बीते ग्रीष्मकाल में 13500 हेक्टेयर रकबे में ही मूंग की बुवाई हो सकी थी। बाद में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई तो इस वर्ष किसानों को आस जगी की तवा बांध में पर्याप्त पानी भरा होने से वे मूंग फसल में नहर के पानी से सिंचाई कर सकेंगे। निजी जल स्रोतों से सिंचाई करने वाले किसान पहले ही मंूग की बोवनी कर चुके हैं।
अधिकतम ५२५०० हेक्टेयर में ली जा चुकी है मंूग फसल
जिले में जब से ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती शुरू हुई है तब से करीब 5 वर्ष पूर्व अधिकतम 52500 हेक्टेयर रकबे में इसकी बुवाई हो चुकी है। लेफ्ट ब्रांच केनाल व हंडिया ब्रांच केनाल की लाइनिंग तथा बारिश की कमी के कारण तवा बांध में पर्याप्त पानी नहीं होने की वजह से बीते तीन साल से किसानों को सिंचाई के लिए नहर का पानी नहीं मिल रहा है। इस वर्ष प्राकृतिक जलस्रोतों से भी पानी मिलने के कारण ज्यादा रकबे में बोवनी की संभावना है। कृषि विभाग का अनुमान है कि इस साल 39 हजार 500 हेक्टेयर रकबे में ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई हो सकती है।
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