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हरदा

नदी किनारे अवैध रूप से मिट्टी की खुदाई कर बेरोकटोक बनाई जा रही ईंट

अनदेखी से नदी-नालों का प्राकृतिक स्वरूप बिगड़ रहा

हरदाFeb 16, 2019 / 10:47 pm

sanjeev dubey

patrika

Illegal exploration on the river banks

खिरकिया. क्षेत्र में ईंटों के निर्माण के लिए नदियों को छलनी किया जा रहा है। नदियों के किनारे की मिट्टी खोदकर अवैध रूप से भट्टो पर ईंटों का निर्माण किया जा रहा है। नदियों पर अवैध उत्खनन से अवैध ईंट निर्माण के लिए निकाली जा रही मिट्टी से शासन को करोड़ों रुपयों की खनिज संपदा के रूप में हानि पहुंचायी जा रही है। वहीं नदियों मे अवैध खुदाई से नदियों के प्राकृतिक स्वरूप को बिगाड़ा जा रहा है। जिससे नदियों का अस्तित्व खतरे में है। जानकारी के अनुसार राजमार्ग स्थित नदियों सहित विकासखंड के ग्रामों की नदियों से अवैध उत्खननकर्ता मिट्टी और मुरम निकालकर परिवहन कर रहे हैं। यही नहीं, नदियों के किनारे बड़े रूप में ईंट भट्टो का संचालन किया जा रहा है। जिसे राजमार्ग से भी देखा जा सकता है। ऐसे में अवैध उत्खनन कारोबारियों के हौसले बुलंद हैं और शासन को करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है।
आधा सैकड़ा से अधिक भटटों पर बनाई जा रही है ईंट
विकासखंड में करीब आधा सैकड़ा से अधिक भट्टों पर अवैध रूप से ईंटों का निर्माण किया जा रहा है। स्टेट हाईवे स्थित माचक नदी के दोनों छोर पर एवं मुख्य मार्ग से लगभग तीन-तीन किमी अंदर तक अवैध ईंट भट्टे संचालित हो रहे है। वही चारूवा नदी पर लाखों रुपए की अवैध ईंट का निर्माण कार्य राजस्व विभाग की आंखों में धूल झोंककर किया जा रहा है। इसके अलावा कई ग्रामीण क्षेत्र जैसे पहटकला, सोनपुरा, रुनझुन, सक्तापुर में कई जगहों पर ईट भट्टे नदी के अंदर या समीप ही संचालित हो रहे हैं। नगर की बात करें तो चौकड़ी मार्ग, छीपावड़ में खुलेआम भी लाखों रुपए की ईंट का निर्माण कार्य अवैध रूप से चल रहा है।
भट्टो के संचालन के लिए सख्त हैं नियम
शासन ने ईट भट्टों के संचालन के लिए सख्त नियम बनाए हैं, लेकिन क्षेत्र में नियमों का पालन दिखाई नहीं देता। पुराने नियम 31 मई 2014 को समाप्त कर दिए हैं। इसके बाद अब नए नियम लागू किए गए हैं। इन नियमों के लागू होने के बाद कारोबार करने वाले अब कहीं भी ईंट भट्टा नहीं लगा सकेंगे। इसके साथ ही उनको ईंट भट्टा लगाने से पहले लीज लेना पड़ती है। पहले कुम्हार जाति के लिए ईंट निर्माण की छूट थी। अब इस जाति के साथ ही अनुसूचित जाति को भी खनिज विभाग से लीज लेना जरुरी है। सिर्फ उनको 10 हजार तक की सीमा में रायल्टी की छूट रखी गई है। इसके ऊपर कारोबार करने पर उनको भी रायल्टी देना अनिवार्य है।
टै्रक्टर ट्रालियों से करते है अवैध परिवहन
नदियों से मिट्टी के अवैध परिवहन के लिए ट्रैक्टर ट्रॉलियों का उपयोग किया जाता है। मांदला नदी के अंदर तक कच्चे रास्ते से वाहन पहुंचाए जाते हैं। साथ ही मजदूरों एवं जेसीबी मशीन की सहायता से ट्रालियां भराई जाती है। जिसके बाद उसका अवैध परिवहन किया जाता है। स्टेट हाईवे से आवागमन के दौरान वरिष्ठ अधिकारी स्वयं देखकर निकल जाते हैं। बाणगंगा नदी पर कालधड़ के समीप कच्चा रास्ता बनाकर इन अवैध कारोबारियों ने नदी के प्राकृतिक स्वरूप को बिगाड़ दिया है। अलसुबह से ट्रालियों से मिट्टी का अवैध परिवहन शुुरू हो जाता है।
बनती है बाढ़ की स्थिति
नदियों के किनारे हो रहे बेतहाशा अवैध उत्खनन से बारिश के दौरान बाढ़ की स्थिति बनती है। जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ता है। गत वर्ष हुई बारिश से मांदला के ग्रामीणो को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। इतना ही नही नदी का पानी गांव में भराने से लगभग आधा गांव डूब चुका था। जिसका कारण नदी में जगह-जगह हुए अवैध उत्खनन को भी बताया जाता है। बाढ़ का पानी खुदाई वाले स्थानों से रास्ता बदलकर गांव तक पहुंच जाता है। जिससे भारी नुकसान होता है।
इनका कहना
ऐसे स्थानों का निरीक्षण कर चिह्नित किया जाएगा। गड़बड़ी पाए जाने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
– वीपी यादव, एसडीएम खिरकिया

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