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हरदा

संक्रमण के भय से वार्डों में भर्ती नहीं किए जा रहे कुपोषित बच्चे, वार्ड खाली पड़े, घर पहुंचाया जा रहा पोषण आहार

– स्वसहायता समूह टीएचआर पैकेट खत्म होने पर बांट रहा है मठरी और लड्डू

हरदाApr 07, 2020 / 09:01 pm

gurudatt rajvaidya

संक्रमण के भय से वार्डों में भर्ती नहीं किए जा रहे कुपोषित बच्चे, वार्ड खाली पड़े, घर पहुंचाया जा रहा पोषण आहार

जिला अस्पताल का पोषण पुनर्वास केंद्र खाली पड़ा।

हरदा. देश में कोरोना के बढ़ते कहर को देखते हुए सरकार द्वारा घोषित किए गए लॉकडाउन के दौरान आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद रखा गया है। इसके चलते बच्चों को प्रतिदिन मिलने वाला ताजा खाना नहीं मिल पा रहा है। वहीं कोरोना वायरस के संक्रमण से कुपोषित बच्चों को बचाने इन्हें सरकारी अस्पतालों के पोषण पुनर्वास केंद्रों में भर्ती करना भी बंद कर दिया गया है। जिले के तीनों ब्लाकों के एनआरसी वार्ड खाली पड़े हुए हैं। केवल कर्मचारी ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इन सबके बीच महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा गर्भवती व धात्री महिलाओं एवं बच्चों के लिए पोषण आहार की व्यवस्था नियमित रूप से की जा रही है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं द्वारा घर-घर जाकर बच्चों के लिए पोषण आहार के पैकेट वितरित किए जा रहे हैं। वहीं कुपोषित बच्चों का वजन बढ़ाने के लिए भी स्वसहायता समूहों के माध्यम से मिल रहे आहार का वितरण किया जा रहा है। परियोजना हरदा शहरी सेक्टर क्रमांक-2 की सुपरवाइजर रेखा गौर ने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद रखा गया है। कार्यकर्ता एवं सहायिकाएं प्रति मंगलवार को घर-घर जाकर बच्चों को पोषण आहार के पैकेट वितरित कर रही हैं। कुपोषित बच्चों का वजन बढ़ाने के लिए भी उन्हें घर पर ही टीएचआर के पैकेट दिए जा रहे हैं।
आंगनबाड़ी केंद्रों पर लटके हैं ताले
आंगनवाड़ी केंद्रों के खुलने से गर्भवती, धात्री महिलाओं एवं बच्चों को नियमित रूप से पोषण आहार मिलता था। प्रतिदिन सुबह नाश्ता और दोपहर में बच्चों को भोजन मिल रहा था। लेकिन अब बच्चों को घर पर ही रहना पड़ रहा है। विभाग के शहर में ८३ आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन हो रहा है। केंद्रों के बंद होने के चलते आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाएं प्रति मंगलवार को घर-घर जाकर ३ से 6 साल के बच्चों और गर्भवती, धात्री महिलाओं एवं ६ माह से ३ वर्ष के बच्चों को टीएचआर के पैकेट बांट रही हैं। जहां टीएचआर खत्म हो गया है वहां स्वसहायता समूहों द्वारा मठरी, खुरमे और लड्डू बांटे जा रहे हैं, ताकि बच्चों में कुपोषण की समस्या न रहे।
वार्ड खुले हैं, लेकिन नहीं आ रहे हैं कुपोषित बच्चे
जिले में कुपोषित बच्चों को स्वस्थ करने के लिए जिले के तीनों ब्लाकों के सरकारी अस्पतालों में पोषण पुनर्वास केंद्र बनाए गए हैं। लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से गांव व शहर के कुपोषित बच्चों को केंद्रों में भर्ती नहीं कराया जा रहा है। हरदा अस्पताल के एनआरसी केंद्र में जनवरी में ८, फरवरी में १७ और २५ मार्च तक ७ बच्चे ही भर्ती हुए थे। केंद्र की कर्मचारियों ने बताया कि संक्रमण से बचाने बच्चों को नहीं लाया जा रहा है। वार्ड खुले हैं। यदि कोई बच्चा ज्यादा गंभीर स्थिति में आएगा तो उसे भर्ती किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि वर्ष २०१५ में २२६, वर्ष २०१६ में २११, वर्ष २०१७ में २२४, वर्ष २०१८ में १५५ और वर्ष २०१९ में १९० बच्चे भर्ती हुए थे।

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