झूरिया सहित अन्य किसान सदस्यों ने आरोप लगाया कि वर्ष २०१३ में हुए चुनाव के दौरान 10 सदस्य बनाए गए। इनमें महेश पिता बद्रीप्रसाद व सावित्रीबाई पति पन्नालाल के नाम भी शामिल हैं। हकीकत यह है कि इन नामों के व्यक्ति समिति के कार्यक्षेत्र में निवास ही नहीं करते। यानि बोर्ड के गठन में भी फर्जी नाम शामिल किए गए। बोर्ड के सदस्य रहे गोकुल विश्नोई निवासी डोमनमउ ने बताया कि कभी बैठक भी नहीं बुलाई गई। मनमाफिक कार्य किया गया। ऋणमाफी की सूची सार्वजनिक होने के बाद ही उन्हें यह गड़बड़ी का पता चला।