अंतिम संस्कार के लिए महंगे मोल में मिल रही दीमक लगी लकड़ी
हितग्राहियों को संबल योजना के तहत नहीं मिल रही अंत्येष्ठि सहायता राशि
अंतिम संस्कार के लिए महंगे मोल में मिल रही दीमक लगी लकड़ी
रहटगांव. वन क्षेत्र होने के बाद भी ग्रामीणों को महंगे मोल में लकड़ी खरीदकर दाह संस्कार करना पड़ रहा है। वर्तमान में दीमक लगी कई वर्ष पुरानी लकड़ी मिल रही है। समाज में सदियों से चली आ रही परंपराओं के अनुसार गरीब हो चाहे अमीर हो सभी को शव का अंतिम संस्कार करने के लिए लकड़ी की आवश्यकता होती है। जलाऊ लकड़ी उपलब्ध नहीं होने के कारण वन विभाग से लाना पड़ता है। वन परीक्षेत्र रहटगांव के अंतर्गत डिपो में शवदाह के लिए 21 सौ रुपए में एक फड़ी लकड़ी मिलती है। उसे श्मशान घाट तक लाने में भी खर्च करना पड़ता हैं। रहटगांव से मात्र 6 किलोमीटर दूरी पर ही वन परीक्षेत्र वनग्राम लगे हैं, इसके बाद भी रहटगांव डिपो में महंगे दामों में लकड़ी मिलती है।
समय पर नहीं मिलती अंत्येष्ठि राशि-
शासन द्वारा गरीब परिवारों को अंतिम संस्कार करने के लिए 5 हजार रुपए की सहायता प्रदान की जाती है। वह भी पंचायत द्वारा समय पर नहीं दी जाती है। ऐसे में गरीबों को अपने मृत परिजनों का दाह संस्कार करना मुश्किल हो जाता है। ग्रामीण सुरेश मेहरा, लखन गौर ने बताया कि शासन प्रशासन को दाह संस्कार के लिए कम कीमत पर लकड़ी की व्यवस्था करना चाहिए। इससे कि गरीबों को अंतिम संस्कार करने में परेशानी न हो। इस विषय में वन परीक्षेत्र रहटगांव रेंज अधिकारी मुकेश रघुवंशी ने बताया कि शवदाह के लिए लकड़ी नहीं आई है और न ही मिल रही है। पुराना स्टॉक है, उसी में से दी जाती है। निस्तार पुस्तिका व विभागीय आदेश के अनुसार जो राशि निर्धारित की गई है वही ली जाती है। इस विषय में ग्राम पंचायत रहटगांव सरपंच ओम प्रकाश अग्रवाल ने बताया कि पंचायत सचिव की उपस्थिति नहीं होने के कारण संबल योजना के तहत मृतक के परिजनों को दी जाने वाली राशि नहीं मिल रही है। पंचायत द्वारा शीघ्र ही शवदाह के लिए वन विभाग से चर्चा कर जलाऊ लकड़ी कम दाम में दिलाने का प्रयास किया जाएगा।
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