सड़कों पर वाहन पार्किंग से आवागमन में मुसीबत, गड्ढों ने बढ़ाई परेशानी
– लोगों के पास पार्किंग व्यवस्था नहीं होने से सड़कों पर खड़े कर रहे वाहन
-दूसरी ओर पाइपलाइन सुधार के लिए खोदे गए गड्ढे और भवन निर्माण सामग्री से भी आवाजाही में समस्या
सड़कों पर वाहन पार्किंग से आवागमन में मुसीबत, गड्ढों ने बढ़ाई परेशानी
हरदा। शहर की मुख्य सड़कों और गलियां इन दिनों चारपहिया वाहनों की पार्किंग का मुख्य स्थल बन चुकी हैं। हालात यह हैं कि एक सड़क पर पांच से दस वाहन खड़े रहना मामूली बात है। इस स्थिति में अन्य वाहनों की आवाजाही प्रभावित हो रही है। एक अनुमान के मुताबिक बीते पांच साल में जिलेभर में करीब 4 हजार लाइट मोटर वीकल (कार बहुतायत में) पंजीकृत हुई हैं। इसके अलावा भोपाल व इंदौर सहित अन्य महानगरों के परिवहन कार्यालयों में पंजीयन कराए गए ऐसे वाहनों की संख्या करीब 2 हजार बताई जाती है। वाहन पंजीयन से जुड़े लोगों के अनुसार बीते पांच साल में खरीदे गए इन छह हजार वाहनों में से अनुमानित दो हजार हरदा शहर में होंगे। इनमें से 80 प्रतिशत लोगों के पास पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। वे घरों के सामने ही वाहन खड़े करते हैं। चौड़ी सड़क होने पर तो आवागमन में समस्या कम आती है, लेकिन संकरी सड़कों और गलियों में दूसरे वाहन निकालने में खासी परेशानी सामने आती है। जानकार बताते हैं कि वाहनों की खरीदी के दौरान पार्किंग स्थल बताने संबंधी गाइडलाइन भी सालों पहले जारी हुई थी, लेकिन इसका पालन नहीं हो सका। इसके चलते यह समस्या बढ़ते जा रही है। हरदा के अलावा खिरकिया व टिमरनी नगर तथा सिराली और रहटगांव जैसे कस्बों में भी इसी तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस संबंध में जिला परिवहन अधिकारी जगदीश भील से चर्चा की गई तो उन्होंने वाहन खरीदी के दौरान पार्किंग स्थल की जानकारी देने की अनिवार्यता संबंधी नियम की जानकारी होने से इंकार किया। उनका कहना रहा कि ऐसा कोई नियम होगा भी तो इसका पालन बेचवाल को करना पड़ेगा। वाहनों के पंजीयन की कार्रवाई उनके द्वारा ही शुरू की जाती है। वहीं सड़कों पर पार्किंग नहीं होने देने का जिम्मा नगरीय निकायों का है। वे निर्धारित कर सकते हैं कि सड़क पर वाहन खड़े न हों।
इधर, आवागमन में बाधक बन रहे गड्ढे
नगर पालिका द्वारा नल और पाइपलाइन सुधार के लिए खोदे जाने वाले गड्ढे समय रहते भरे नहीं जाते। जिन्हें मिट्टी डालकर भरा भी जाता है तो वहां सड़क को पहले जैसी स्थिति में नहीं लाया जाता। इसके चलते वाहनों की आवाजाही में परेशानी होती है। कई बार तो पहिए गड्ढे में धंसने से वाहन चालकों की मुसीबत बढ़ जाती है। छीपानेर रोड पर करीब छह महीने पहले पाइपलाइन के लिए खोदी गई सड़क पर सीमेंट कांक्रीट का थेगड़ा लगाने के लिए चार दिन से आधा रास्ता बंद किया गया है। वहीं नेहरू स्टेडियम के गेट नंबर 4 के सामने पाइपलाइन सुधारने के लिए चार दिन पहले बीच सड़क पर किए गए गड्ढे को मिट्टी, पत्थर डाल कर भर दिया, लेकिन पक्का नहीं किया गया। सुरक्षा के लिए बीच सड़क पर डिवाइडर रख दिया गया।
उधर, सड़क पर फैली निर्माण सामग्री बन रही मुसीबत
शहर के कई क्षेत्रों में लोग निर्माण सामग्री सड़क पर डाल रहे हैं। निर्माण के दौरान दिनभर रास्ता भी बंद कर दिया जाता है। इसे रोकने की दिशा में कार्रवाई नहीं होने से लोगों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ता है।