फरियाद सुनी लेकिन नहीं लिखी रिपोर्ट
एसपी मनीष अग्रवाल ने बताया कि सिराली थाना के पुलिस अधिकारी, कर्मचारियों ने अपहृत किशोरी के माता-पिता की फरियाद तो सुनी थी, लेकिन रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई नहीं की। 26 जुलाई को इस मामले में रिपोर्ट दर्ज की गई थी। जांच शुरु हुई तो तीन दिन बाद 29 जुलाई को अपहृत किशोरी की क्षत विक्षत लाश खंडवा में गणगौर घाट रेलवे ट्रैक के पास क्षत विक्षत हालत में मिली थी। एसपी मनीष अग्रवाल ने आगे कहा कि पीड़ित पक्ष की शिकायत थी कि 15 वर्षीय किशोरी के माता-पिता 23 से 25 जुलाई तक सिराली थाना गए थे, लेकिन उनकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। एएसपी गजेंद्र वर्धमान ने इसकी जांच की तो वीडियो फुटेज में सामने आया कि 23 से 25 जुलाई तक पीडि़ता के परिजन थाने पहुंचे थे। तब एएसआई बृजमोहन सोलंकी व एएसआई देवकरण उइके तथा प्रधान आरक्षक अजय तिवारी व प्रधान आरक्षक सईद खान ने उनकी शिकायत तो सुनी थी लेकिन रिपोर्ट दर्ज नहीं की। पीड़ित पक्ष को कभी थाना प्रभारी के मौजूद न होने का कहा गया तो कभी उम्र के प्रमाण के लिए अंकसूची मांगी गई। लॉकडाउन के कारण अंकसूची उपलब्ध कराने में भी देरी को पीडि़त पक्ष ने कारण बताया, लेकिन फिर भी रिपोर्ट नहीं लिखी गई। पुलिस अधिकारी, कर्मचारियों ने उनसे हर बात बारिकी से पूछी। आरोपी शकीला और आकाश को थाना बुलाकर पूछताछ भी की गई थी। एएसआई सोलंकी की बीट के क्षेत्र के गांव में घटित इस घटना को उन्होंने भी संज्ञान नहीं लिया। 26 जुलाई को इस मामले में प्रकरण दर्ज हुआ था। इस मामले में लापरवाही पर एएसआई सोलंकी व उइके तथा प्रधान आरक्षक तिवारी व खान को निलंबित कर विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं। विभागीय जांच डीएसपी स्तर के अधिकारी से कराई जाएगी।
29 जुलाई को मिला था किशोरी का कंकाल
लापता किशोरी का कंकाल क्षत-विक्षत अवस्था में 29 जुलाई को खंडवा के गणगौर घाट रेलवे ट्रैक के पास जंगल में मिला था। आरोपी आकाश की निशानदेही पर इसकी बरामदगी हुई थी। पुलिस ने इस मामले में आकाश, शकीला, मांगीलाल और इमरान को गिरफ्तार किया था। फिलहाल सभी आरोपी जेल में हैं। जिस दिन कंकाल बरामद हुआ था उस दिन आदिवासी संगठनों द्वारा घटना पर खासा रोष जताया गया था। उनका कहना था कि 13 जुलाई को किशोरी के लापता होने के बाद से पीडि़त पक्ष लगातार थाने के चक्कर लगाते रहे, लेकिन उनकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। समय रहते कार्रवाई होती तो किशोरी की जान बचाई जा सकती थी। आदिवासी संगठनों द्वारा बाद में भी लगातार यह मांग की गई की दोषी पुलिस अधिकारी, कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाए। दो दिन पहले उन्होंने कलेक्ट्रेट के घेराव का ऐलान भी किया था। हालांकि उन्हें शहर के बाहर ही रोक दिया गया था। बता दें कि शादी का झांसा देकर आरोपी खालवा में किशोरी को बेचने लाए थे, सौदा नहीं हुआ तो पकड़े जाने के डर से उसकी हत्या कर दी थी।