जर्जर भवनों के धराशायी होने के अंदेशा-
करीबी गांव पानतलाई के दोनों आंगनबाड़ी केन्द्र भवनविहीन है। इससे एक केन्द्र पंचायत के जर्जर भवन में व दूसरा किराए के कमरे में संचालित हो रहा है। पंचायत भवन जर्जर होने से कभी भी धराशायी हो सकता है। इससे हादसे की आशंका बनीं रहती है। जबकि किराए के कमरे में संचालिक केन्द्र में सुविधाओं का अभाव है।
राशि नहीं मिलने से अटके काम –
विकासखंड की ग्राम पंचायतों में ४५ आंगनवाडी केन्द्रों के भवन का निर्माण कार्य चल रहा है। लेकिन निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत को राशि नहीं मिलने से पिछले कई महीनों से काम बंद पड़े है। करताना सहित अन्य गांवों में बन रहे आंगनबाड़ी भवन का निर्माण कार्यपिछले 6 से 7 महीनों से बंद पड़ा है। पंचायतों का कहना है कि खाते में राशि नहीं आने की वजह से काम बंद है। ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक ने बताया कि भवन का निर्माण कार्य 7.8 0 लाख रुपए की लागत से किया जाना है। लेकिन राशि नहीं मिलने की वजह से काम बंद था। तीन चार दिन पहले भवन निर्माण की किस्त की राशि आई है। एक दो दिन में काम चालू कराया दिया जाएगा।
इतनी कम किराए में नहीं मिलते सर्वसुविधायुक्त भवन-
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जिन आंगनवाडी केन्दों के स्वयं के भवन नहीं है, उन्हें किराय से कमरा लेकर केन्द्र का संचालन करने के लिए प्रतिमाह किराया दिया जाता है। जानकारी के अनुसार नगरीय क्षेत्र में 700 रुपए किराया दिया है। सर्वसुविधा युक्त शौचालय, पेयजल व्यवस्था सहित अन्य सुविधा होने पर 1300 रुपए किराया मिलता है। ग्रामीण क्षेत्रों की आंगनवाड़ी केन्द्रों को 200 रुपए एवं सर्वसुविधा युक्त कमरा होने पर 700 रुपए किराया दिया जाता है। इतनी कम राशि मेंं शहर एवं गांवों मेंं किराए के भवन नहीं मिलने से बच्चों एवं कार्यकर्ताओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
७ में से २ सुपरवाइजर के पद रिक्त-
परियोजना कार्यालय में सुपरवाइजर के ७ पद स्वीकृत है। लेकिन इनमें से २ पद रिक्त है। वर्तमान में 5 सुपरवाइजर है। जिनमें से भी एक सुपरवाईजर ट्रेनिंग पर गई है। वर्तमान में चार सुपरवाइजर के भरोसे काम चल रहा है। खाली पड़े दो पदों को अभी तक नहीं भरा जा सका है।
स्कूल पूर्व देते है अनौपचारिक शिक्षा –
आंगनबाड़ी केन्द्रों का मुख्य उद्देश्य बच्चों का मानसिक विकास करना भी है जिससे वह प्राथमिक स्कूल में बेहतर तरीके से शिक्षा प्राप्त कर सकें। इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा दी जाती हैं। बच्चों को प्राकृतिक चीजों जल, जंगल, जानवर, इत्यादि के बारे में प्रारंभिक ज्ञान कराया जाता है। इसके अलावा महिलाओं के लिए भी आयोजन किए जाते है।
करीबी गांव पानतलाई के दोनों आंगनबाड़ी केन्द्र भवनविहीन है। इससे एक केन्द्र पंचायत के जर्जर भवन में व दूसरा किराए के कमरे में संचालित हो रहा है। पंचायत भवन जर्जर होने से कभी भी धराशायी हो सकता है। इससे हादसे की आशंका बनीं रहती है। जबकि किराए के कमरे में संचालिक केन्द्र में सुविधाओं का अभाव है।
राशि नहीं मिलने से अटके काम –
विकासखंड की ग्राम पंचायतों में ४५ आंगनवाडी केन्द्रों के भवन का निर्माण कार्य चल रहा है। लेकिन निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत को राशि नहीं मिलने से पिछले कई महीनों से काम बंद पड़े है। करताना सहित अन्य गांवों में बन रहे आंगनबाड़ी भवन का निर्माण कार्यपिछले 6 से 7 महीनों से बंद पड़ा है। पंचायतों का कहना है कि खाते में राशि नहीं आने की वजह से काम बंद है। ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक ने बताया कि भवन का निर्माण कार्य 7.8 0 लाख रुपए की लागत से किया जाना है। लेकिन राशि नहीं मिलने की वजह से काम बंद था। तीन चार दिन पहले भवन निर्माण की किस्त की राशि आई है। एक दो दिन में काम चालू कराया दिया जाएगा।
इतनी कम किराए में नहीं मिलते सर्वसुविधायुक्त भवन-
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जिन आंगनवाडी केन्दों के स्वयं के भवन नहीं है, उन्हें किराय से कमरा लेकर केन्द्र का संचालन करने के लिए प्रतिमाह किराया दिया जाता है। जानकारी के अनुसार नगरीय क्षेत्र में 700 रुपए किराया दिया है। सर्वसुविधा युक्त शौचालय, पेयजल व्यवस्था सहित अन्य सुविधा होने पर 1300 रुपए किराया मिलता है। ग्रामीण क्षेत्रों की आंगनवाड़ी केन्द्रों को 200 रुपए एवं सर्वसुविधा युक्त कमरा होने पर 700 रुपए किराया दिया जाता है। इतनी कम राशि मेंं शहर एवं गांवों मेंं किराए के भवन नहीं मिलने से बच्चों एवं कार्यकर्ताओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
७ में से २ सुपरवाइजर के पद रिक्त-
परियोजना कार्यालय में सुपरवाइजर के ७ पद स्वीकृत है। लेकिन इनमें से २ पद रिक्त है। वर्तमान में 5 सुपरवाइजर है। जिनमें से भी एक सुपरवाईजर ट्रेनिंग पर गई है। वर्तमान में चार सुपरवाइजर के भरोसे काम चल रहा है। खाली पड़े दो पदों को अभी तक नहीं भरा जा सका है।
स्कूल पूर्व देते है अनौपचारिक शिक्षा –
आंगनबाड़ी केन्द्रों का मुख्य उद्देश्य बच्चों का मानसिक विकास करना भी है जिससे वह प्राथमिक स्कूल में बेहतर तरीके से शिक्षा प्राप्त कर सकें। इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा दी जाती हैं। बच्चों को प्राकृतिक चीजों जल, जंगल, जानवर, इत्यादि के बारे में प्रारंभिक ज्ञान कराया जाता है। इसके अलावा महिलाओं के लिए भी आयोजन किए जाते है।