जिले किसान फसलों को बचाने के लिए बेहद परेशान है। हालांकि कृषि वैज्ञानिकों द्वारा लगातार खेतों का निरीक्षण कर किसानों को फसल बचाने के लिए कीटनाशकों का प्रयोग करने की सलाह दी जा रही है। मंगलवार को कृषि तकनीकी दल ने खिरकिया विकासखंड के गांव चौकड़ी का भ्रमण कर फसलों का निरीक्षण किया। उल्लेखनीय है कि जिले में इस बार रबी की फसल में गेहूं 1 लाख 60 हजार हेक्टेयर, 25 हजार हेक्टेयर में चना, 3 हजार हेक्टेयर में मक्का फसल और 2 हजार हेक्टेयर में अन्य फसलेें बुआई का लक्ष्य रखा गया है।
बालागांव के किसान राजेंद्र गौर ने बताया कि मैंने 7 एकड़ कृषि भूमि में मक्का की फसल लगाई थी, जिसमें 22 हजार रुपए का बीज लगाया था। किंतु वर्तमान में पूरी फसल पर इल्लियों का प्रकोप हो गया है। इसे बचाने के लिए पांच-पांच हजार रुपए के चार कीटनाशकों का छिड़काव किया जा चुका है। इस तरह 20 हजार रुपए खर्चकरने भी इल्लियों का प्रकोप नहीं रूक रहा है। कृषक गौर ने कहा कि खरपतवार को भी नष्टकरने के लिए हजारों रुपए खर्चकिए गए हैं, लेकिन इल्लियां फसलों को चट करती जा रही है।
फसल के पौधों में जगह-जगह छेद हो गए हैं। इसी तरह कृषक दिनेश भाटी ने बताया कि उन्होंने 6 एकड़ जमीन में गत 1 नवंबर को मक्का की फसल लगाई थी, जिसमें 14000 का बीज लाकर बुवाई की थी। वर्तमान में चार छिड़काव हो चुके हैं, जिसका खर्च 17000 के करीब हो चुका है। इसके बाद भी पूर्ण मात्रा में इल्ली प्रकोप पर रोकथाम नहीं हो पा रही है। उनके साथ ही किसान संतोष गौर, सूरजबली गौर, प्रभुदयाल गौर ने बताया कि उनके खेतों में भी इल्लियों का प्रकोप अधिक मात्रा में है। किसानों ने कहा कि यदि कृषि विभाग द्वारा इल्लियों से फसलों को बचाने के लिए कोई सलाह नहीं दी जाती हैतो उनकी फसल चौपट हो जाएगी।
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरसी शर्माने किसानों को बताया कि गेहूं, मक्का की फसल पर इल्लियों के प्रकोप को रोकने के लिए इमामेक्टीन बेन्जोएट 5 प्रतिशत 8 0 से 100 ग्राम अथवा स्पायानोसेड 45 एससी 8 0 से 100 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से छिडकाव करने की सलाह दी।इसके अलावा पर्णीय छिड़काव के लिए लार्वी या इल्ली द्वारा नुकसान होने पर थायोडीकार्ब 70 डब्ल्यूपी 400 ग्राम प्रति एकड़ या फ्लु बेंडमाइट 480 एससी 60 मिली प्रति एकड़ का उपयोग करें। छिड़काव के लिए वांछित मात्रा में घोल बनाए। प्रति एकड़ पानी की मात्रा हाथ पंप द्वारा 200-200 लीटर अथवा पॉवर पंप द्वारा 80-100 लीटर पानी का उपयोग करें।
किसानों द्वारा लगातार कृषि वैज्ञानिकों को मक्का और गेहूं फसलों पर इल्लियों के प्रकोप की शिकायत की जा रही है।जिस पर वैज्ञानिकों का दल मंगलवार को खिरकिया विकासखंड के गांव चौकड़ी पहुंचा। उन्होंने गेहूं फसल का जायजा लिया तो फसल के पौधों पर इल्लियों का झुंड मिला। वहीं पौधों की पत्तियों को नुकसान होना पाया गया। तकनीकी दल में वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरसी शर्मा, डॉ. मुकेश बंकोलिया, रुपचंद जाटव, डीके रिछारिया ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी खिरकिया आदि शामिल थे। डॉ. शर्मा ने बताया कि महेंद्रगांव और जटपुरा में भी फसलों पर इल्ली प्रकोप होने की जानकारी मिली है। उन्होंने मौके पर मौजूद किसानों को फसलों को बचाने के लिए सलाह दी गई।
डॉ. आरसी शर्मा, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, हरदा