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हरदोई

समाजवादी पार्टी छोड़ने वाले इस बड़े नेता को मिला ईनाम, बीजेपी भेजेगी राज्यसभा

ये बड़ा नेता अब देश की राजनीति में राज्यसभा के सदस्य के रूप में भागीदारी करेगा…

हरदोईMar 12, 2018 / 08:55 am

नितिन श्रीवास्तव

Ashok Bajpai BJP Rajya Sabha UP candidate

समाजवादी पार्टी छोड़ने वाले इस बड़े नेता को मिला ईनाम, बीजेपी भेजेगी राज्यसभा

हरदोई. समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य और मुलायम सिंह यादव के निकटतम साथियों में शुमार रहे यूपी के हरदोई जिले के ग्राम बूढा गांव निवासी पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ अशोक बाजपेई को बीजेपी ने रिटर्न गिफ्ट के तौर पर राज्य सभा का टिकट दिया है। इस बात की खबर मिलते ही हरदोई में जश्न जैसा माहौल है। लोग इसे परिवर्तन का सुखद अहसास मान रहे हैं। अशोक बाजपेयी के अलावा बीजेपी ने हरनाथ यादव, विजय पाल तोमर, कांता कर्दम, सकलदीप राजभर, अनिल जैन, जीवीएल नरसिम्हा राव को यूपी से राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी ने अरुण जेटली को पहले ही प्रत्याशी घोषित कर दिया था।
सपा से नाता तोड़ बीजेपी में हुए थे शामिल

आपको बता दें कि सपा में चाचा भतीजे के बीच मची राजनीतिक खींचतान से आहत होकर सपा के वरिष्ठ नेता और एमएलसी अशोक बाजपेई ने सपा में मुलायम सिंह और खुद की अनदेखी किये जाने की बात कहकर करीब 6 महीने पहले सपा से नाता तोड़कर बीजेपी जॉइन की थी। साथ ही बीजेपी के लिए अपनी MLC सीट खाली करते हुए इस्तीफा दिया था। बीजेपी ने एमएलसी सीट खाली करने के बदले उपहार में उन्हें अब राज्य सभा का टिकट देकर उनका सम्मान किया है। जिसे रिटर्न गिफ्ट माना जा रहा है।
बीजेपी ने दिया रिटर्न गिफ्ट

डॉ अशोक बाजपेई के निकटतम समर्थक मनीष बाजपेई और त्रिपुरेश मिश्र ने बताया कि बीते अगस्त महीने में लखनऊ में अशोक बाजपेई को गृहमंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में डिप्टी सीएम और तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्य ने पार्टी की सदस्यता दिलाई थी। बीजेपी ने उन्हें पार्टी में आने के करीब 6 महीने के अंदर ही राज्यसभा जाने का टिकट देकर रिटर्न गिफ्ट दे दिया है। वे अब देश की राजनीति में राज्यसभा के सदस्य के रूप में भागीदारी करेंगे।
राजनीति में बड़ा कद

बूढा ग्राम के मूल निवासी पूर्व मंत्री और पूर्व एमएलसी अशोक बाजपेई का हरदोई की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान है। जैसा कि समर्थकों ने बताया कि साल 1977 में पहली बार जनता पार्टी के टिकट पर तत्कालीन पिहानी विधानसभा सीट से वह विधायक बने थे। बाबू बनारसीदास की सरकार में वह मंत्री रहे। मुलायम सिंह यादव के साथ अशोक बाजपेई 1989 में प्रदेश के शिक्षामंत्री रहे। 1980 के विधानसभा चुनाव में वह हार गए थे। 1985 और 1989 के चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की थी।
अब राम के नाम से बेड़ा हुआ पार

करीबी लोगों के अनुसार 1991 में राम लहर में अशोक बाजपेई चुनाव हार गए थे। मगर 1993 में सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर अशोक बाजपेई चुनाव जीते थे। वर्ष 1996 और 2002 के चुनाव में भी वह सपा की साइकिल पर सवार होकर लखनऊ पहुंचे। वे खाद्य एवं रसद और फिर कृषि व धर्मार्थ कल्याण विभाग के मंत्री भी रहे । 2007 और 2012 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद वे लखनऊ से 2014 में लोकसभा चुनाव के लिए सपा प्रत्याशी बनाये गए। लेकिन बाद में सपा ने टिकट बदल दिया। जिसके बाद सपा ने उन्हें MLC पद तो दिया मगर उनके कद के अनुसार सरकार के मन्त्रिमंडल में भागीदारी नहीं दी। जिससे वे भीतर ही भीतर रंज में थे, पर जुबां पे दर्द नहीं लाए और जब सपा में चाचा-भतीजे की राजनीतिक उठापटक हुई। तो वे सही मौका भांपकर बीजेपी में चले गए और इस तरह एक खाटी समाजवादी अशोक बाजपई भाजपाई हो गए और अब बीजेपी ने उन्हें सम्मान के साथ उनके कद के अनुरूप पद दे दिया है।

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