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हरदोई

ईरान से मिली नेकी…राजस्थान से दीवार, हरदोई के सचिन बन गए नेकी की दीवार!

गरीबों, असहायों की मदद करना और मदद करने के लिए दूसरों को प्रेरित करना सचिन मिश्रा का शौक बन गया है।

हरदोईOct 11, 2017 / 01:57 pm

नितिन श्रीवास्तव

Teacher Sachin Mishra neki ki deewar in Hardoi UP Hindi News

ईरान से मिली नेकी…राजस्थान से दीवार, हरदोई के सचिन बन गए नेकी की दीवार!

नवनीत द्विवेदी


हरदोई. पेशे से शिक्षक सचिन मिश्रा हरदोई में नेकी की दीवार बन गए है। गरीबों, असहायों की मदद करना और मदद करने के लिए दूसरों को प्रेरित करना उनका शौक बन गया है। नियमित रूप से स्कूल में शिक्षण कार्य करने के बाद वे रक्तदान, अन्नदान, वस्त्रदान और श्रमदान के साथ स्वच्छता के लिए समयदान रूपी पांच मिशन पर कार्य कर रहे है। उनका जज्बा और जुनुन देखकर एक साल में ही उनके साथ कार्य करने वालों का काफिला बन गया है। इस समय हरदोई में ही नेकी की दीवार की टीम एक सौ से अधिक युवा कार्य कर रहे है। हरदोई की नेकी की दीवार अब अन्य जिलों के साथ पूरे देश में कार्यकर्ताओं को जोडऩे की दिशा में बढ़ रही है। आज हरदोई में नेकी की दीवार का नाम हर किसी की जुबान पर पहुंच चुका है। नेकी की दीवार के संस्थापक सचिन मिश्र को कई मंत्रों से सम्मानित किया जा चुका है मगर वो कहते है मकसद सेवा है सम्मान नहीं है। हम सेवा भाव को लेकर चल रहे है आज हम बताते है कि सचिन मिश्र के मन में कैसे जागा सेवा भाव और कैसे बनी नेकी की दीवार।
नेकी की दीवार की कहानी, सचिन मिश्रा की जुबानी

नेकी की दीवार संस्था के संस्थापक शिक्षक सचिन मिश्र ने बचपन से ही गरीबों एवं असहायों के बीच वक्त गुजारा उनके मन में शुरू से ही इस ओर कुछ करने की ललक थी। जैसा कि सचिन ने पत्रिका न्यूज नेटवर्क को बताया कि जब वे युवावस्था में पहुंचे तो उनके द्वारा गोपनीय तरीके से जाड़ों की रात में स्वेटर मोजा आदि बांटने का काम शुरू किया गया फिर उसके बाद वे शिक्षक बने तो यह सेवा कार्य और बढ़ा और करीब सवा साल पहले एक दिन उनके मन में आया कि क्यों ने गु्रप बनाया जाए ग्रुप का नाम क्या हो इसके लिए वे मोबाइल फोन पर सर्च करने लगे तो सर्च इंजन के द्वारा उन्हें एक नाम मिला नेकी की दीवार इस लिंक पर सर्च किया तो पता चला कि यह राजस्थान के झालाबाडा में स्थित है और इसका मूल विचार ईरान से आया था। यह विचार मेरे मन मे आया कि इसे हरदोई में चलाया जाए जिस से तमाम उन व्यक्तियों की मदद हो सकेगी जो स्वयं वो चीजे नही ले पा रहे है। इस तरह से हरदोई में नेकी की दीवार का गठन हुआ।

सोशल मीडिया पर शेयर की मन की बात तो युवा आए साथ

सचिन मिश्रा ने सोशल मीडिया पर नेकी की दीवार को लेकर मन की बात शेयर की तो सैकडों की संख्या में लोगो के सकारात्मक विचार मिले युवाओं का साथ मिला और फिर पिछले साल दीवाली के एक दिन पहले – क्योंकि हम है कि भावना लिए हुए नेकी की दीवार जिला चिकित्सालय के पास अस्थायी रूप से टेंट लगा सेवा कार्य शुरू किया और इसका शुभारंभ बुर्जुग रिक्शा चालक ने किया और दीवाली पर कपड़े आदि सामान वितरित किया गया।
सबके सहयोग से एक लाख के नए कपड़े बांट मनी होली

शुरूआत के बाद संस्था का हर माह के दूसरे रविवार को शिविर लगता रहा और सैक डो की संख्या में लोग लाभान्वित होते रहे। फिर ऐसा समय आया जब होली पर 1 लाख रुपये जो सभी सहयोगियों से एकत्र किए गए थे के नए वस्त्रों का वितरण नेकी की दीवार के शिविर में उन लोगो मे किया गया जो नए कपडे लेने में असमर्थ थे। उसके बाद नेकी की दीवार सामाजिक कार्यों में सहभागिता करती रही चाहे किसी गरीब कन्या की शादी हो या रक्तदान हो या बीमार को रक्तदान की उपलब्धता हो या गरीब छात्र के चयन होने पर उसकी फीस में सहयोग करना हो आदि। अगस्त 2017 में नेकी की दीवारस्थायी ठिकाना मिला जहां नियमित रूप से जरूरतमंदों के बीच कपड़ो आदि का वितरण होता है।

नेकी की दीवार के साथी दे रहे प्रेरणा

अभिषेक कुशवाहा, नितिन मिश्रा, शबील खान, आशीष शुक्ल, पंकज अवस्थी, अवनीश तिवारी, गौरव मिश्रा,श्याम जी गुप्ता, अजित शुक्ल, भानु प्रताप सिंह, शैशव त्रिपाठी, विनय पाण्डेय, अनिल दीक्षित, जितेंद्र मिश्रा, आलोक श्रीवास्तव, अलोकिता, रमन भसीन, राजेन्द्र पटेल, रामकिंकर बाजपेई, आशुतोष मिश्रा, आर.के.पाण्डेय, भरत पाण्डेय, प्रीतेश दीक्षित, आशीष अग्निहोत्री, देवेश पांडेय, सौरभ सिंह, अमित शर्मा, आदि बहुत से सहयोगी बने। टेंट सहयोग श्याम त्रिवेदी (माँ वैष्णो टेंट हाउस) की तरफ से नि:शुल्क मिलता रहा। इसके अलावा टीम के सहयोगियों की सूची बड़ी लंबी है जो कि अब पूरे देश में क्नेक्टिंग इंडिया की तर्ज पर काम करने की दिशा में बढ़ रही है।
बोले सचिन चेहरों पर मुस्कान यहीं अरमान

नेकी की दीवार के संस्थापक सचिन मिश्रा कहते है कि मै अकेले कुछ नही हम है तो नेकी की दीवार है सभी के सहयोग से इसे और व्यापक पैमाने पर ले जाकर काम करते रहना है अपना तो बस इतना अरमान है कि चेहरों पर मुस्कान रहे। सबके चेहरों पर खुशी दिखे। कहा कि इस नेक कार्य मे सभी सहयोगी साथियों का मैं हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ साथ ही साथ यह वचन भी देता हूं कि यह नेकी की दीवार यूं ही आगे बढ़ती रहेगी।

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