तीन माह में नहीं बदल रहे तेल तो एकसाथ तीन तेलों का प्रयोग करें
शरीर के लिए जरूरी 25-30% फैट की पूर्ति तेल व घी से होती है। इसमें 10% घी भी शामिल है। भिन्न प्रकृति व पोषकता के कारण विशेषज्ञ मौसम के अनुसार तेलों को बदलते रहने की सलाह देते हैं। ऐसा संभव न होने पर कई तेलों को मिक्स कर प्रयोग कर सकते हैं।
तीन माह में नहीं बदल रहे तेल तो एकसाथ तीन तेलों का प्रयोग करें
सर्दी में नारियल, मूंगफली, सरसों, अलसी व तिल के तेल शरीर की प्रकृति गर्म रख पोषक तत्वों की पूर्ति करते हैं। गर्मी में सूरजमुखी व राइस ब्रान (चावल की खोल से तैयार) तेल का प्रयोग करें। हर तीन माह में तेल बदलने के बजाय किन्हीं तीन तेल को एक:सवा:एक चम्मच की मात्रा में या सब्जी में दो तेल एक:सवा व रोटी पर घी एक चम्मच की मात्रा में लगाएं।
इसका ध्यान रखें
डायटीशियन मेधावी गौतम ने बताया कि रूम टेम्प्रेचर पर जमने वाले (मक्खन, नारियल, डालडा व घी) व न जमने वाले (सूरजमुखी, सरसों, मूंगफली, बादाम, जैतून व अलसी) तेलों का स्मोकिंग पॉइंट (गर्म होने का तापमान) अलग होता है इसलिए तेल संग घी का प्रयोग सब्जी में न करें। सब्जी में यदि तीन तेल प्रयोग करते हैं तो रोटी रूखी खाएं।
हृदय को स्वस्थ रखता है तेल का मिश्रण
मिश्रित तेल एंटीऑक्सीडेंट, ओमेगा-3 व 6 फैटी एसिड्स की पूर्ति करने, कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रखने के साथ तनाव घटाता है। हृदय व लिवर सेहतमंद रहते हैं। उदाहरण के तौर पर सरसों व मूंगफली तेल में सब्जी है तो चपाती पर घी खा सकते हैं। मूंगफली व तिल या जैतून में सब्जी बनी है तो रोटी पर मक्खन लगा सकते हैं। साथ ही जैतून व सरसों के तेल में यदि सब्जी है तो चपाती पर घी या मक्खन लगाएं। हर मौसम में कोई भी तेल खा सकते हैं बशर्ते इनके स्मोकिंग पॉइंट का ध्यान जरूर रखें।
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