दुनियाभर में, प्रसव (Delivery) के बाद होने वाला तनाव हर साल लगभग आठ मिलियन महिलाओं को प्रभावित करता है. इस समस्या का पता लगाने के लिए अभी डॉक्टर द्वारा जांच की ज़रूरत होती है, जो समय लेने वाली और महंगी प्रक्रिया है.
अगर इस तनाव का इलाज न किया जाए, तो इससे बच्चे को दूध पिलाने, उसके साथ जुड़ाव बनाने और भविष्य में दोबारा गर्भवती (Pregnant) होने की इच्छा में भी दिक्कत आ सकती है. साथ ही, प्रसव (Delivery) के बाद होने वाला तनाव माँ में डिप्रेशन को भी बढ़ा सकता है, जिससे महिलाओं में आत्महत्या के बारे में विचार और ऐसे कार्यों की संभावना बढ़ जाती है.
शोधपत्र वैज्ञानिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है. इस अध्ययन में ये पाया गया है कि AI इस बीमारी से ग्रस्त लोगों और खतरे में ज्यादातर महिलाओं की पहचान करने में सफल हो सकता है.
अध्ययन में 1,295 महिलाओं को शामिल किया गया, जो प्रसव (Delivery) के बाद के दौर से गुजर रही थीं. इन महिलाओं से एक प्रश्नावली भरवाई गई. साथ ही, इन महिलाओं ने अपने प्रसव (Delivery) के अनुभव के बारे में लगभग 30 शब्दों का एक संक्षिप्त विवरण भी दिया.
इजरायल की बार-इलान यूनिवर्सिटी, अमेरिका के मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं ने उन महिलाओं के विवरणों के एक हिस्से का विश्लेषण करने के लिए AI मॉडल को प्रशिक्षित किया, जिन्होंने प्रश्नावली में भी प्रसव (Delivery) के बाद होने वाले तनाव के लक्षणों के लिए उच्च स्कोर किया था.
शोधकर्ताओं का कहना है कि, “कुल मिलाकर, मॉडल ने उन प्रतिभागियों के विवरणों को सही ढंग से पहचाना, जिनमें प्रसव के बाद तनाव होने की संभावना थी क्योंकि उन्होंने प्रश्नावली में उच्च स्कोर किया था.”
(आईएएनएस) :