1. उज्जयी प्राणायाम
उज्जयी एक संस्कृत शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘विजयी’ होता है। इस प्राणायाम को करने के लिए सबसे पहले किसी भी आरामदायक आसन में बैठ जायें। और समान रूप से श्वास लें। उसके थोड़ी देर बाद अपना ध्यान गले पर ले जाकर ऐसा अनुभव करें कि, जैसे सांस गले से आ जा रही है। इसके बाद सांस धीमी और गहरी हो जाए, तो कंठ-द्वार को संकुचित कर लें। इस योग में गहरी सांस छोड़े जाने के कारण श्वसन तंत्र मजबूत होता है। तथा साथ ही फेफड़ों की कार्यविधि भी बेहतर होती है।
2. कपालभाति प्राणायाम
इस प्राणायाम के द्वारा हम अपनी श्वास को अधिक समय तक रोकने की कोशिश करते हैं। इस योग को शुरू करने से पहले अपनी नाक के दोनों छिद्रों के माध्यम से एक गहरी श्वास लें। और साथ ही अपने पेट को भी अंदर तथा बाहर की ओर धकेलें। इस योग द्वारा फेफड़ों का शुद्धिकरण होता है। इसके अलावा कपालभाति प्राणायाम से श्वसन तंत्र मजबूत और पाचन सुधरता है। इस चक्र को 10 बार लगातार करने के बाद फिर अपनी श्वास को सामान्य स्थिति में आने दें।
3. भस्त्रिका प्राणायाम
इस प्राणायाम को शुरू करने से पहले अपने नथनों को अच्छी तरह साफ कर लें। अब ज्ञान मुद्रा में बैठकर गर्दन और रीढ़ की हड्डी को एक सीध में रखें। और धीरे-धीरे सांस खींचते हुए अपनी सांस को बलपूर्वक छोड़ दें। अब दोबारा अपनी सांस बलपूर्वक खींचकर वैसे ही उसे छोड़ें। प्रतिदिन 8 से 10 बार प्राणायाम को करें। भस्त्रिका प्राणायाम को करने से हमें काफी ऑक्सीजन मिलती है। इस प्राणायाम द्वारा ना केवल खराब कोलेस्ट्रोल को घटाने में मदद मिलती है, बल्कि अस्थमा, कफ, एलर्जी की समस्या भी दूर होती है।