“2030 तक 50 लाख से अधिक लोग कराएंगे गुर्दा प्रतिरोपण”
आरआरटी उपचार
नहीं कराने वाले लोगों की संख्या संतोषजनक रहने का अनुमान है
लंदन। एक नए अध्ययन के जरिए यह बात सामने आई है कि 2030 तक डायलिसिस और गुर्दा प्रतिरोपण जैसी उन्नत गुर्दा उपचार कराने वाले लोगों की संख्या 50 लाख से अधिक हो जाएगी। विशेष रूप से एशिया और अफ्रीका जैसे विकासशील क्षेत्रों में। डायलिसिस या गुर्दा प्रतिरोपण के जरिए गुर्दा प्रतिस्थापन्न थेरेपी (आरआरटी) जीवनरक्षक होने के साथ ही अत्यधिक महंगी इलाज पद्धति है।
“जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ” के ताजा अध्ययन में आरआरटी सर्जरी करा रहे लोगों की संख्या 2010 में 26 लाख की तुलना में 2030 तक बढ़ कर 54.39 लाख होने का अनुमान है। अध्ययन के मुताबिक, आरआरटी उपचार नहीं कराने वाले लोगों की संख्या संतोषजनक रहने का अनुमान है।
एशिया में आरआरटी उपचार कराने वाले लोगों की संख्या 2010 में 9.68 लाख से बढ़ कर 2030 कर 21.62 लाख होने का अनुमान जताया गया है। अध्ययन समीक्षा के मुताबिक, 2010 तक वैश्विक स्तर पर लगभग 26.18 लाख लोगों ने आरआरटी उपचार कराया।
गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए आरआरटी उपचार का भारी भरकम खर्च नहीं उठाने वाले कम और मध्य आय वाले देशों भारत, चीन, इंडोनेशिया, पाकिस्तान और नाइजीरिया में इलाज के अभाव में ज्यादातर मौतें होती हैं। यह अध्ययन “द लैंसेट” चिकित्सा पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
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