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रोग और उपचार

मसूड़ों का रंग ऐसा हो गया है तो हो जाएं सावधान!

दांतों से व्यक्ति की खूबसूरती तय होती है लेकिन दांतों की मजबूती मसूड़ों पर तय होती है। मसूड़ों में सूजन, खून आना, बदबू…

जयपुरApr 23, 2018 / 01:52 pm

manish singh

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दांतों से व्यक्ति की खूबसूरती तय होती है लेकिन दांतों की मजबूती मसूड़ों पर तय होती है। मसूड़ों में सूजन आना, खून आना, बदबू रहना, मसूड़ों का नीचे की तरफ खिसकर आ जाना, अल्सर या घाव बन जाना, खाना खाने में तकलीफ होना इसकी बिगड़ती सेहत का लक्षण है। मसूड़ों का रंग बहुत अधिक लाल हो जाना या सफेद होना भी उसकी खराब सेहत को बताता है। इस तरह की परेशानी पर व्यक्ति को जल्द से जल्द अस्पातल पहुंच दांत रोग विशेषज्ञ से दिखाना चाहिए क्योंकि देरी दांतों के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है। स्वस्थ मसूड़ों का रंग गुलाबी (कोरल पिंक) होता है। रंग में किसी तरह का बदलाव दिखे तो सतर्क हो जाना चाहिए। भीतर की हड्डी गलनी शुरू हो जाती है।

गंदगी जमा होने से बढ़ती परेशानी
मसूड़ों की तकलीफ को मेडिकल क्रॉनिक पेरियोडॉन्टाइटिस कहते हैं। आम बोलचाल में इसे पायरिया भी कहा जाता है। मुंह से दुर्गंध इसका शुरूआती लक्षण है। मसूड़ों के ऊपर प्लाक जमने की वजह से ये परेशानियां शुरू होती हैं। प्लाक अधिक जमा होने से मसूड़े अपनी जगह छोडऩे लगते हैं। इस वजह से दांत लबे दिखने लगते हैं। बचाव के लिए सही ढंग से सुबह और रात को सोने से पहले ब्रश किया जाए तो परेशानी से बचा जा सकता है।

डायबिटीज से भी होता नुकसान

डायबिटीज के रोगी को भी मसूड़े संबंधी समस्या हो सकती है। ऐसे रोगियों में मसूड़े तेजी से गलने के साथ नीचे उतरने लगते हैं। बहुत कम समय में मसूड़ों कमजोर होते हैं जिसका सबसे बुरा असर दांतों पर पड़ता है। मधुमेह रोगियों को मसूड़ों संबंधी समस्या हो तो डॉक्टर से मिलना चाहिए।

गुटखा खाने वालों का मुंह पूरा क्यों नहीं खुलता, जानें वजह

जो लोग पान, मसाला, तंबाकू और गुटखा खाते हैं उनको ओरल सब म्यूकस फाइब्रोसिस बीमारी होती है जिसमें मुंह पूरा नहीं खुलता है। इसमें मुंह की इलास्टिक मसल फाइब्रश टिशु में बदल जाती है। इसी तरह जो लोग पान मसाले के साथ चूने का प्रयोग अधिक करते हैं उनको मुंह में अल्सर होने की तकलीफ बनी रहती है जो नॉन हिलिंग होता है। आगे चलकर ये कैंसर का रूप भी ले सकता है।

मसूडों की तकलीफ का ऐसे करते इलाज

प्रारंभिक स्थिति में मसूड़ों को बचाने के लिए स्केलिंग रूट प्लेनिंग करते हैं जिसमें उसकी गंदगी को साफ किया जाता है। रोगी को परेशानी से बचाव के लिए सुबह और रात को सोने से पहले ब्रश करने की सलाह दी जाती है। गंभीर स्थिति में एक्स-रे जांच के बाद ऑपरेशन भी तय हो सकता है। ऑपरेशन से पहले सभी तरह के प्री-सर्जिकल टैस्ट करवाते हैं।

डॉ. अंजली कपूर, हैड पेरियोडॉटिक्स, गर्वमेंट डेंटल कॉलेज

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