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स्वास्थ्य

अच्छी सेहत के लिए दूर करें खानपान की अनियमितताओं से जुड़ी समस्याएं

खानपान की गड़बड़ी से पीडि़त मर तक सकता है, खाना फेंक सकता है या फिर इच्छा अनुरूप वजन पाने के लिए कई तरीकों से अपने आप को नुकसान पहुंचा सकता है।

Jun 27, 2016 / 11:33 pm

विकास गुप्ता

diet irregularities Problems

diet irregularities Problems

नई दिल्ली। जिन लोगों को हर पल इस बात की चिंता रहती है कि वह क्या खा रहे हैं, उनका वजन कितना है और वह दूसरों से नजरें कैसे मिलाएंगे, वे एक किस्म से रोग से ग्रस्त होते हैं। उनकी इस हालत को खानपान की अनियमितता की बीमारी कहा जाता है। यह स्थिति इतनी गंभीर है कि खानपान की गड़बड़ी से पीडि़त मर तक सकता है, खाना फेंक सकता है या फिर इच्छा अनुरूप वजन पाने के लिए कई तरीकों से अपने आप को नुकसान पहुंचा सकता है।

जीरो साइज की ललक में भारत के युवाओं में खास तौर पर खानपान की अनियमितताएं तेजी से बढ़ रही हैं। लेकिन खानपान की गड़बडिय़ों से जुड़े सामाजिक कलंक की भावना और दबाव की वजह से इसका इलाज नहीं करवाया जाता। इसलिए चिकित्सकों का फर्ज बनता है कि वे अपने मरीजों में इस गड़बड़ी का ध्यान रखें और उन्हें खानपान के उनकी सेहत पर पडऩे वाले असर के बारे में जानकारी दें। माता-पिता को भी सामाजिक कलंक की भावना कम करने और इस अवस्था को अपनाने के लिए सलाह दी जानी चाहिए। उन्हें यह अहसास करवाया जाना चाहिए कि बच्चे को उनके साथ की सबसे ज्यादा जरूरत है।

उन्होंने कहा कि सामान्य खानपान से खानपान की अनियमितताओं तक जाने का सफर बेहद पेंचीदा है। इसके सही कारण का तो पता नहीं है, लेकिन कुछ खास कारण हो सकते हैं। इसमें आत्मविश्वास की कमी, उग्र व्यवहार जैसे भावनात्मक मसले कारण हो सकते हैं। इसके साथ ही मानसिक आघात वाली घटनाएं, शोषण और खूबसूरती के सामाजिक मापदंडों के अनुरूप उतरने का दबाव इस व्यवहार की ओर मोड़ सकता है।

अनियमितत खानपान से होने वाली समस्याएं
एर्नोरेक्जिया नर्वोसा
इस समस्या से पीडि़त लोगों को वजन बढऩे का डर लगा रहता है। वे ज्यादातर खुद को मोटापे का शिकार मानते हैं, तब भी जब उन्हें इस बात का प्रमाण दिया जाए कि उनका वजन सामान्य से कम है और उनमें पोषण की कमी है। इस समस्या से पीडि़त व्यक्ति दिन में कई बार अपना वजन जांचते हैं और बहुत कम खाते हैं। इसकी वजह से उनमें एनीमिया, भुरभुरे बाल और नाखून, कब्ज, सुस्ती और थकान, नपुंसकता, रक्तचाप में कमी आदि समस्याएं हो सकती हैं।

बुलिमिया नर्वोसा
पीडि़त एक वक्त में बहुत सारा खाना खाते हैं, वह भी अकेले में। इसे बिंज ईटिंग भी कहा जाता है। ऐसे लोगों को लगता है कि उनका खाने पर कोई नियंत्रण नहीं है। इसलिए वे अत्यधिक व्यायाम करने, जबर्दस्ती उल्टी करने और उपवास करने लग जाते हैं। वे डियूरेटिक्स, लेक्जेटिव्स या एनीमा का इस्तेमाल भी करने लगते हैं। इस वजह से उनमें एसिड रिफ्लक्स डिस्ऑर्डर, गले में लगातार सूजन, पानी की कमी और उल्टी से डीहाईड्रेशन, इलैक्ट्रोलाइट इम्बैलेंस, गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल गड़बडिय़ां आदि हो सकती हैं।

बिंज ईटिंग डिस्ऑर्डर
पीडि़त का खानपान पर कोई नियंत्रण नहीं होता। ऐसे लोग नियमित तौर पर अत्यधिक खाते रहते हैं। इतना ज्यादा कि उन्हें बेचैनी और दर्द होने लगता है। भूख न होने पर और पेट भर जाने के बाद भी वे खाते रहते हैं। ऐसे लोग मोटापे का शिकार हो सकते हैं। इसकी वजह से दिल के रोग और उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ जाता है।

सेहतमंद आहार के टिप्स
संतुलित आहार में सोडियम कम होना चाहिए। दिन में छह ग्राम से ज्यादा सोडियम नहीं लेना चाहिए। वनस्पति घी में मौजूद ट्रांस फैट बेहद कम लेना चाहिए, क्योंकि यह दिल के लिए अच्छा नहीं होता और अच्छा कोलेस्ट्रॉल कम करके खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है।

बाहर खाने से जितना संभव हो बचें, क्योंकि रेस्तरां और होटलों का खाना अक्सर भारी ट्रांस फैट से भरपूर होता है, जो दिल के लिए हानिकारक साबित होता है। सफेद बे्रड, सफेद आटा, चावल और चीनी जैसे रिफाइन्ड कार्बोहाईड्रेट्स की जगह सम्पूर्ण अनाज का आटा, हरी सेहतमंद सब्जियां और ओट मील खाना चाहिए। जिस भी चीज में 10 प्रतिशत से ज्यादा मीठा हो उसे कम खाएं। आमतौर कर कोल्डड्रिंक्स में 10 प्रतिशत मीठा और भारतीय मिठाइयों में 30 से 50 प्रतिशत तक होता है।

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