कई बार अभिभावक बच्चे का सिर हल्का गर्म देखकर उसे दवाई दे देते हैं जो कि गलत है। बुखार को मापें, 100 डिग्री फैरनहाइट तक या इससे नीचे बुखार है तो यह रोगों से लडऩे की क्रिया है। वहीं 100 डिग्री फैरनहाइट से ऊपर बुखार आने के साथ दौरे आएं तो प्लेन पैरासिटामॉल देकर उसके कपड़े ढीले कर पंखे के नीचे लेटा देने से बुखार में कमी आती है। डेंगू की स्थिति में बुखार उतरने का इंतजार न करें। बुखार उतरते ही जटिलताओं की आशंका बढ़ती हैं।
असल में बच्चे के दिमाग का विकास दो साल और बाकी पूरे शरीर का विकास 20 साल तक होता है। ऐसे में दिमाग का कार्य अधिक होने और यहां की हड्डियां कोमल होने से यहां का तापमान थोड़ा ज्यादा रहता है।
ऐसे करें बचाव
डेंगू से बचाव के लिए फिलहाल कोई वैक्सीन नहीं है। इसपर शोध चल रहा है। पुख्ता बचाव मच्छरों से दूरी है। इसके लिए बच्चों को ऐसे समय खेलने के लिए बाहर न भेजें जब आसपास मच्छर ज्यादा हों। पूरी बाजू के कपड़े और मोजे पहनाकर रखें। सोते समय मच्छर भगाने वाले क्रीम का प्रयोग करें। घर या आसपास पानी इकट्ठा न होने दें। पेड़ पौधों की छंटाई नियमित करते रहें।
ध्यान रखें
बुखार शरीर की प्राकृतिक प्रक्रिया है। इसलिए बुखार होने पर कभी भी कोल्ड स्पॉन्ज (ठंडी गीली पट्टी करना) न करें। यह शरीर पर विपरीत असर करता है।
डिजिटल थर्मामीटर से घर पर ही तुरंत बच्चे के शरीर का तापमान पता कर सकते हैं।
98.6 डिग्री फैरनहाइट शरीर का सामान्य तापमान है।
वायरल फीवर को हल्के में न लें।
एक्सपर्ट: डॉ. बी. एस. शर्मा, वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ, जेके लोन अस्पताल, जयपुर