जानवरों में सफल रहा परीक्षण
प्रोटोटाइप न्यूरल इम्प्लांट का उपयोग इससे पहले पशुओं की रीढ़ की हड्डी की चोटों (Injuries in Spinal Cord) को ठीक करने में किया गया है। अब वैज्ञानिक इस तकनीक का उपयोग कर मानव के नर्वस सिस्टम से जुड़े रोग जैसे लकवा, पार्किंसंस और मनोरोगियों का उपचार करने के लिए और विकसित कर रहे हैं। शोधकर्ताओं ने यह भी दिखाया कि 3डी प्रिंटर न्यूरल इम्प्लांट के जरिए वे दिमाग और तंत्रिकाओं के साथ कम्युनिकेट भी कर सकते हैं। यह न्यूरल इम्प्लांट तकनीक मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र में छोटे विद्युत आवेगों (Electrical impulses) को समझने के साथ ही उनकी आपूर्ति (Supply) भी कर सकती है।
ऐसे काम करती है यह तकनीक
टीम ने दिखाया है कि नर्वस सिस्टम से जुड़ी चोटों और बीमारियों को ठीक करने के लिए प्रोटोटाइप इम्प्लांट को अधिक तेज और प्रभावी बनाने के लिए 3डी प्रिंटिंग का उपयोग कैसे किया जा सकता है। इस तकनीक का उपयोग कर तंत्रिका तंत्र के विशिष्ट क्षेत्रों और दिमागी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। इस नई तकनीक का उपयोग कर टीम के न्यूरोसाइंटिस्ट ऐसा डिजाइन बनाते हैं जिसे इंजीनियरिंग टीम एक कंप्यूटर मॉडल में बदल सकती है जो 3डी प्रिंटर को निर्देश देती है। फिर प्रिंटर इस डिजाइन को पूरा करने के लिए एक लचीला मैकेनिकल और जैव रासायनिक सामग्री का पैलेट बनाता है। डिजाइन में किसी तरह के बदलाव को भी तुरंत किया जा सकता है। इससे न्यूरोसाइंटिस्ट को लकवा, पार्किंसंस और मनोरोग के संभावित उपचार के लिए तेज़ और सस्ता तरीका मिल सकता है। इतना ही नहीं यह बेहद सस्ता और सटीक तरीका भी है।