Exam Time: बच्चा पढ़ रहा है तो उसे अकेला न छोड़ें, आसपास ही रहें
जयपुरPublished: Mar 21, 2021 08:03:42 pm
बच्चों की परीक्षाएं या तो शुरू हो चुकी हैं या शुरू होने वाली हैं। ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, जिससे उनका रिजल्ट अच्छा आए व उनकी सेहत भी ठीक रहे।
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अच्छी नींद लेने से बढ़ेगी याद करने की क्षमता
शारीरिक-मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए पर्याप्त नींद जरूरी है। छात्रों को परीक्षा के दौरान भी 7-8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। इससे अगले दिन तरोताजा रहेंगे। कुछ छात्र देर रात तक जागकर पढ़ते हैं। ऐसा करने से बचें। रात में जल्दी सो जाएं और सुबह जल्दी उठकर पढ़ें। रात में अच्छी नींद के बाद उठकर पढ़ते हैं तो याद करने की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है।
बच्चों का दिमाग सही चले और ऊर्जावान रहें, इसके लिए ओमेगा 3 फैटी एसिड और आयरन वाली चीजें, मौसमी फल- सब्जियां, साबुत अनाज, आदि ज्यादा दें।
शाम को गुनगुने पानी से नहलाएं
शारीरिक-मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए पर्याप्त नींद जरूरी है। छात्रों को परीक्षा के दौरान भी 7-8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। इससे अगले दिन तरोताजा रहेंगे। कुछ छात्र देर रात तक जागकर पढ़ते हैं। ऐसा करने से बचें। रात में जल्दी सो जाएं और सुबह जल्दी उठकर पढ़ें। रात में अच्छी नींद के बाद उठकर पढ़ते हैं तो याद करने की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है।
शाम को गुनगुने पानी से बच्चों को नहलाएं। इससे मन भी प्रसन्न रहेगा। सोने के लिए बिस्तर साफ रखें। ज्यादा मोटा तकिया न लगाने दें। मसल्स में दिक्कत हो सकती है। सोने से पहले मोबाइल या टीवी न देखने दें। बेडरूम में हल्की रोशनी रखें। सोने से तीन घंटे पहले बच्चे को डिनर करा दें। डिनर हल्का रखें। खाली पेट न सोने दें।
चाय-कॉफी न दें
चाय-कॉफी में कैफीन होता है। इससे नींद तो नहीं आती है लेकिन थोड़ी देर बाद एनर्जी लेवल कम हो जाता है। थकान होने लगती है। पानी खूब पिलाएं। कोशिश करें कि एक जग या कैंपर में पानी भरकर पास रख दें।
तनाव हो तो…
कई बार तनाव से दिल तेजी से धडकऩे लगता है। आंखें बंद कर गहरी सांस लें। खुली जगह पर थोड़ी देर टहलें, साइक्लिंग करें। पढ़ाई के दौरान ब्रेक लेते रहें। मनोरंजन या पसंद वाले काम भी करें।
पैरेंट्स इन बातों का रखें ध्यान
बच्चों की परफॉर्मेंस सुधारने के लिए पैरेंट्स टाइम मैनेजमेंट में मदद करें। बच्चों के अनुसार टाइम टेबल बनाएं। पढ़ाई के साथ 7-8 घंटे की नींद, एक घंटा खेलना भी शामिल करें।
बच्चे की मनोस्थिति को समझें। कोई समस्या हो तो उनकी बातों पर गंभीर हों।
बच्चा जब पढ़ाई करे तो उसे अकेला न छोड़ें, उसके साथ बैठें या फिर बीच-बीच में चक्कर लगाते रहें। इससे बच्चा बोर नहीं होंगे। पढऩे में मन भी लगा रहेगा।
अगर बच्चे के नंबर कम आए हंै तो भी दूसरों से तुलना न करें। इससे उसका परफॉर्मेंस और घटेगा। इस बात का ध्यान आप भी रखें कि जिन बच्चों के नंबर कम आते हैं वे भी आगे चलकर जीवन में सफल होते हैं।
बच्चे का आत्मविश्वास बढ़े इसके लिए अभिभावक नहीं, मित्र की तरह रहें।