कैल्शियम हड्डियों को मजबूत रखता है। आहार में कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा लेना जरूरी है। इसके अलावा मांसपेशियों के लिए भी जरूरी है। दूध, दही, पनीर, गोभी, ब्रोकली, फल, दाल, नींबू, मूंगफली और सिंघाड़ा को आहार में शामिल करें। विटामिन डी व कैल्शियम साथ लेें। कैंसर, डायबिटीज व हाईब्लड प्रेशर से बच सकते हैं।
विटामिन डी
विटामिड डी से हड्डियां मजबूत, वजन नियंत्रित रहता है। मांसपेशियों, प्रतिरक्षा प्रणाली, मस्तिष्क और शरीर के बाकी हिस्सों के बीच रक्त संचार के लिए आवश्यक होता है। सुबह की धूप में 15 मिनट बैठें। विटामिन डी की जरूरत 35 प्रतिशत पूरी होगी। इसके लिए सप्लीमेंट्स, अंडा, दूध, मशरूम, दही ले सकते हैं।
फॉलिक एसिड
फॉलिक एसिड लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में मदद करता है। गर्भावस्था, जन्मजात दोष रोकने, हृदय, कोशिकाओं के विकास में मदद करता है। गर्भस्थ महिला को 600 मिग्रा. व स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को 500 मिग्रा. प्रतिदिन लेना चाहिए। इसके लिए पालक, ब्रोकली, सेब और संतरे का रस, ***** ग्रेन ब्रेड लेना चाहिए।
विटामिन सी
विटामिन सी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। हृदय रोग से बचाता है। यह एंटीएजिंग भी है। लंबे समय तक जवान रखती है। कोलेजन का उत्पादन करता है और रूखी त्वचा को पोषण देता है जिससे झुर्रियां नहीं आती हैं। विटामिन सी के सबसे अच्छे स्रोत आंवला, संतरा, नींबू, हरी मिर्च, कीवी, अंगूर, तरबूज, स्ट्रॉबेरी, पपीता, आलू और टमाटर हैं।
आयोडीन
आयोडीनशरीर में थायराइड हार्मोन बनाने में मदद करता है। थायराइड शरीर में मेटाबॉलिजम को नियंत्रित करता है। इसकी कमी से घेंघा रोग हो जाता है। गर्भावस्थ शिशु के विकास के लिए आयोडीन जरूरी है। गर्भस्थ महिलाओं को 220 मिग्रा. व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 290 मिग्रा. प्रतिदिन जरूरत होती है। यह पनीर, दूध, दही, आयोडीन युक्त नमक लेना चाहिए।
मैग्नीशियम
मैग्नीशियम की कमी से पीरियड के दौरान ऐंठन, ब्लड प्रेशर, मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र, हड्डी की मजबूती में मदद करता है। इसके लिए फाइबर से भरपूर आहार लें। हरी पत्तेदार सब्जियां, सूखे मेवे, सोयाबीन, आलू, साबुत अनाज, किनोआ ले सकते हैं।