भारत के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी के वैज्ञानिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष जयप्रकाश मुलियाल का कहना है कि मुंबई की झुग्गियों में हर्ड इम्यूनिटी (Herd Immunity) विकसित होने लगी है। मुम्बई मेडिकल कॉलेज से सेवानिवृत्त मुलियाल का कहना है कि इन झुग्गी झोपडिय़ों में संक्रमण उस दर से नहीं फैल रहा जितना बाकी शहर या राज्य में जबकि यहां स्वास्थ्य चिकित्सा, सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) और अन्य नियमों का पालन करना आसान नहीं है। मुम्बई नगर पालिका और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के जुटाए आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि शहर के सबसे निर्धन आबादी वाली जगह होने के बावजूद अनजाने में ही यहां हर्ड इम्यूनिटी विकसित हो रही है। हालांकि अब तक इस बात के बहुत कम सबूत मिले हैं कि कोरोना महामारी के खिलाफ हर्ड इम्यूनिटी विकसित हुई है। वहीं कुछ विशेषज्ञों ने इस बात की भी आशंका जताई है कि शरीर की कुछ इम्यून कोशिकाएं एंटीबॉडीज के बेअसर होने के बाद भी इम्यूनिटी प्रदान करती रहती हैं।
सर्जिकल सर्वे के दौरान मुम्बई के उपनगरों दहिसर, चेंबूर और माटुंगा की झुग्गियों में लगभग 57 फीसदी लोगों के रक्त में एंटीबॉडी थे, जो न्यूयॉर्क शहर में एक अप्रैल के अध्ययन में 21.2 फीसदी ही पाए गए थे। ऐसे ही मईमें स्टॉकहोम की मेडिकल रिपोर्टमें भी केवल 14 फीसदी लोगों में ही एंटीबॉडीज पाए गए थे। इस तरह अमरीका के न्यूयॉर्क, स्वेडन के स्टॉकहोम की तुलना में भारत के एक राज्य की झुग्गी बस्ती के लोगों में कोरोना के खिलाफ सबसे ज्यादा हर्ड इम्यूनिटी विकसित हुई है। स्वेडन जहां हाथ मिलाने पर प्रतिबंध लगाने का कड़ा विरोध किया गया था वहां उन पड़ोसी देशों की तुलना में मृत्यु दर ज्यादा थी जहां लॉकडाउन सख्ती से लागू किया गया था। लेकिन भारत की धारावी जैसी झुग्गी बस्तियों में परिस्थितियां बिल्कुल उलट हैं। यहां की ज्यादातर आबादी युवा है और कोरोना से बचाव के लिए सख्ती से नियमों की पालना करवाई गई। यानी यहां वायरस को पूरी तरह से दबाने की कोशिश किए बिना कमजोर इम्यूनिटी की रक्षा पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया। अध्ययन के लेखकों ने बताया कि निष्कर्ष बताते हैं कि कम्यूनिटी ट्रांसमिशन इसकी एक बड़ी वजह हो सकती है।
भारत के पब्लिक हैल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के निदेशक के. श्रीनाथ रेड्डी का कहना है कि यह अच्छी खबर है लेकिन अभी सर्वे के नतीजों पर पूरी तरह विश्वास हीं किया जा सकता। यह हर्ड इम्यूनिटी नहीं है बल्कि इसे हर्ड प्रोटेक्शन कहना ज्यादा उचित होगा। गोरतलब है कि अकेले धारावी में ही कोरोना संक्रमण से 253 लोगों की मौत हुई थी। महामारी विशेषज्ञों का कहना हैकि संक्रमण का कम से कम 60 फीसदी आबादी तक फैलने पर ही हर्ड इम्यूनिटी विकसित होने की संभावना होती है। मुम्बई में नए संक्रमितों के मामले बीते तीन महीनों की तुलना में इस सप्ताह घटे हैं। जुलाई में हुए एंटीबॉडी सर्वे में सामने आया कि सघन आबादी, चॉल, झुुग्गी बस्तियों और बहुत छोटे घरों में रहने वाले 16 फीसदी लोग ही इस दौरान कोरोना के संक्रमण की चपेट में आए हैं।