नीम की कोंपलें कारगर
इस ऋतु में कड़वे नीम की कोंपलें (नई पत्तियां) भी प्रयोग में लें। 2-3 काली मिर्च के साथ 10-15 कोंपलें पंद्रह से बीस दिन नियमित चबाकर खाएं। इससे लंबे समय तक चर्म रोग, रक्त विकार, ज्वर आदि बीमारियां नहीं होंगी। रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होगी। कड़वे नीम के फूलों का रस 15 दिन तक पीने से त्वचा रोग व मलेरिया से बचाव होता है।
शरीर को रोगों से लडऩे की ताकत देती है हल्दी
शीत व वसंत ऋतु में श्वांस, जुकाम, खांसी जैसे कफजन्य रोग ज्यादा होते हैं। दही का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यह कफवर्धक माना जाता है। हल्दी का प्रयोग भी ज्यादा करना चाहिए। इससे शरीर रोगों से लडऩे में सक्षम होता है। पांच चौथाई चम्मच हरड़ का चूर्ण शहद में मिलाकर लें। बलगम, ज्वर, खांसी की तकलीफ ठीक होगी।
– डॉ. महेश कुमार शर्मा, आयुर्वेद विशेषज्ञ, एसआर राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर