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एंडो ब्रोंकियल अल्ट्रासाउंड टेक्नोलॉजी से आसान हो गई फेफड़ों के कैंसर की जांच, जानें इसके बारे में

locationजयपुरPublished: Jul 28, 2020 01:44:25 pm

एंडो ब्रोंकियल अल्ट्रासाउंड (ईबस) तकनीक बिना ऑपरेशन सैंपल लेने में कारगर है।

एंडो ब्रोंकियल अल्ट्रासाउंड टेक्नोलॉजी से आसान हो गई फेफड़ों के कैंसर की जांच, जानें इसके बारे में

know about Endobronchial Ultrasound EBUS

फेफड़ों के बीच के हिस्से (मीडियास्टीनम) में गांठों की समस्या, टीबी के अलावा कई बार कैंसर आदि के कारण भी हो सकती है। एेसे में स्थिति स्पष्ट करने के लिए इस स्थान से सैंपल लेकर बायोप्सी की जाती है। बेहद नाजुक इस हिस्से में भोजन नली, हृदय व विभिन्न ग्रंथियां होने के कारण अब तक सैंपल लेने के लिए मरीज का ऑपरेशन करना पड़ता था। लेकिन एंडो ब्रोंकियल अल्ट्रासाउंड (ईबस) तकनीक बिना ऑपरेशन सैंपल लेने में कारगर है।

एेसे काम करती है तकनीक-
मरीज को लोकल एनेस्थीसिया देने के बाद एक विशेष प्रकार के टेलिस्कोप को उसके मुंह के जरिए श्वास नलियों तक पहुंचाया जाता है और उस हिस्से की सोनोग्राफी की जाती है। गांठ की स्थिति दिखने पर सुई से सैंपल लेते हैं। जांच में करीब एक घंटे का समय लगता है जिसके बाद मरीज को करीब दो घटों तक डॉक्टरी देखरेख में रखा जाता है।

कैंसर की स्टेज पता लगाने में कारगर-
जांच के दौरान गांठों के फैलाव से यह भी पता चलता है कि कैंसर कौनसी स्टेज का है। टीबी, फेफड़ों व आसपास की विभिन्न ग्रंथियों में सूजन की समस्या का भी पता लगाया जाता है। हालांकि यह जांच सुरक्षित है। कुछ मामलों में इसके कारण कुछ दिनों तक मरीज के गले या छाती में दर्द रह सकता है। दवा का असर रहने तक नींद आने की समस्या भी हो सकती है। यह जांच जयपुर के अस्थमा भवन में उपलब्ध है।

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