– मां रात में दूध पिलाने के बाद अच्छी तरह कैसे सोए?
पहले के जमाने में मांएं अपने नवजात शिशुओं के साथ ही सोया करती थीं। आज यह एक मुद्दा बन चुका है। यदि बिस्तर साझा किया जा रहा है तो कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है ताकि मां और शिशु को अच्छी नींद आ जाए और मां शिशु की समय-समय पर देखभाल भी कर सके।
डायपर ड्यूटी, लोरी सुनाने आदि में मदद लें- यदि शिशु की देखभाल की जिम्मेदारी मां पर है, तो पार्टनर रात के समय शिशु की आवश्यकताओं को पूरा करने की जिम्मेदारी उठा सकते हैं।
अधिक नींद पाने की युक्तियां और यह मां और शिशु के सेहत को कैसे प्रभावित करता है।
जब भी मौका मिले, सो जाओ: ज्यादातर शिशु दिन में सोते हैं और रात को जागते हैं। ऐसे में बेहतर होगा कि जब दिन में शिशु सोएं, तब ही नींद ले ली जाए। मौका न छोड़ें और आराम कर लें।
नींद मां के लिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि अपर्याप्त नींद और आराम दूध की आपूर्ति को प्रभावित करता है। यह मां और शिशु दोनों के लिए अच्छा नहीं है। शिशु के स्वस्थ विकास के लिए उसकी भी पूरी नींद आवश्यक है। यह शिशुओं के मस्तिष्क के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है।
पहले के जमाने में मांएं अपने नवजात शिशुओं के साथ ही सोया करती थीं। आज यह एक मुद्दा बन चुका है। यदि बिस्तर साझा किया जा रहा है तो कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है ताकि मां और शिशु को अच्छी नींद आ जाए और मां शिशु की समय-समय पर देखभाल भी कर सके।
डायपर ड्यूटी, लोरी सुनाने आदि में मदद लें- यदि शिशु की देखभाल की जिम्मेदारी मां पर है, तो पार्टनर रात के समय शिशु की आवश्यकताओं को पूरा करने की जिम्मेदारी उठा सकते हैं।
अधिक नींद पाने की युक्तियां और यह मां और शिशु के सेहत को कैसे प्रभावित करता है।
जब भी मौका मिले, सो जाओ: ज्यादातर शिशु दिन में सोते हैं और रात को जागते हैं। ऐसे में बेहतर होगा कि जब दिन में शिशु सोएं, तब ही नींद ले ली जाए। मौका न छोड़ें और आराम कर लें।
नींद मां के लिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि अपर्याप्त नींद और आराम दूध की आपूर्ति को प्रभावित करता है। यह मां और शिशु दोनों के लिए अच्छा नहीं है। शिशु के स्वस्थ विकास के लिए उसकी भी पूरी नींद आवश्यक है। यह शिशुओं के मस्तिष्क के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है।
– शिशुओं की मां के लिए नींद कितनी जरूरी है?
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि अपर्याप्त नींद दूध की आपूर्ति की मात्रा और गुणवत्ता को कम कर देती है। तनावग्रस्त शरीर में नेचुरल हार्मोन रिलीज होते हैं, जो प्रोलैक्टिन (दूध के उत्पादन) और ऑक्सीटोसिन (दूध छोडऩे) के प्रोडक्शन को रोकते या प्रभावित करते हैं। अध्ययनों से यह भी पता चला है कि नींद नहीं मिलने से माताओं को पोस्टपार्टम डिप्रेशन होता है। इसे उचित आराम और नींद के जरिए आसानी से बचाया जा सकता है।
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि अपर्याप्त नींद दूध की आपूर्ति की मात्रा और गुणवत्ता को कम कर देती है। तनावग्रस्त शरीर में नेचुरल हार्मोन रिलीज होते हैं, जो प्रोलैक्टिन (दूध के उत्पादन) और ऑक्सीटोसिन (दूध छोडऩे) के प्रोडक्शन को रोकते या प्रभावित करते हैं। अध्ययनों से यह भी पता चला है कि नींद नहीं मिलने से माताओं को पोस्टपार्टम डिप्रेशन होता है। इसे उचित आराम और नींद के जरिए आसानी से बचाया जा सकता है।
– स्तनपान कराने वाली मां नींद की कमी से कैसे निपटे?
एक लंबी और शांतिपूर्ण नींद के बजाय, छोटे-छोटे पावर नैप्स की कोशिश करनी चाहिए। 15 मिनट या आधे घंटे का वक्त हमानाभी मिले, तो न छोड़ें। दूध पिलाने के दौरान मां का जागना जरूरी है।
एक लंबी और शांतिपूर्ण नींद के बजाय, छोटे-छोटे पावर नैप्स की कोशिश करनी चाहिए। 15 मिनट या आधे घंटे का वक्त हमानाभी मिले, तो न छोड़ें। दूध पिलाने के दौरान मां का जागना जरूरी है।
– रात में स्तनपान करना क्यों महत्वपूर्ण है?
रात में स्तनपान कराने से अधिक प्रोलैक्टिन पैदा होता है, जो शिशु की जरूरतों को पूरा करने के लिए दूध के उत्पादन में मदद करता है। इससे दूध की आपूर्ति नियमित रूप में मिलती है। रात के समय बच्चे 20त्न अधिक भूखे होते हैं। रात को दूध पिलाना आपके और साथ ही आपके शिशु के लिए फायदेमंद है।
रात में स्तनपान कराने से अधिक प्रोलैक्टिन पैदा होता है, जो शिशु की जरूरतों को पूरा करने के लिए दूध के उत्पादन में मदद करता है। इससे दूध की आपूर्ति नियमित रूप में मिलती है। रात के समय बच्चे 20त्न अधिक भूखे होते हैं। रात को दूध पिलाना आपके और साथ ही आपके शिशु के लिए फायदेमंद है।