डायबिटीज में खाएं रागी रोटी
कैल्शियम व फाइबर से युक्त रागी आटे से तैयार रोटी मधुमेह रोगी में शुगर लेवल नियंत्रित रखती है। आटे में कटी गाजर, चुकंदर व मसाले मिलाकर गोल आकार दें। फिर हल्के तेल या घी से सेक कर बच्चों के लिए कटलेट बनाएं। आटे में देसी घी मिलाकर बिस्किट भी बना सकते हैं। मीठे के लिए महुआ के फल से निकले जूस को मिलाएं। यह प्राकृतिक शर्करा है। रागी का उपयोग कई बीमारियों में भी किया जाता है।
रागी के फायदे
रा गी में विटामिन्स और काब्र्स और फाइबर जैसे कई जरूरी पोषक तत्व होते हैं। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर भी शुगर और वजन कम करने में भी यह सहायक है। इसे खाने से तनाव वाले मरीजों को भी राहत मिलती है। एमिनो एसिड होता है स्किन एजिंग से बचाता है।
ज्यादातर केक मैदा के आटे से बनते हैं। हैल्दी केक बनाना चाहते हैं तो रागी और गेहूं के आटे को मिक्स कर बना सकते हैं। मीठे के लिए किसी प्रकार के स्वीटनर की जगह मुनक्का और खजूर का प्रयोग कर सकते हैं।
काठी रोल्स
बच्चे सब्जियों को खाने में अक्सर मुंह बनाते हैं। स्प्रिंग रोल्स या काठी रोल्स उन्हें ज्यादा पसंद आते हैं। घर पर सेहतमंद तरीके से इन्हें बना सकते हैं। जौ और गेहूं के आटे की रोटी में सब्जियों को भरकर सेककर दें।
जौ से तैयार करें कचौरी
आमतौर पर कचौरी के लिए मैदे से बाहरी परत तैयार करते हैं। आयुर्वेदिक तरीके से बनाई गई कचौरी में जौ और गेहूं के आटे की बाहरी परत सेहतमंद होगी। इसकी फिलिंग के लिए जौ के सत्तू में घर पर पिसे मसालों को मिलाकर करें। सर्दी के मौसम के लिहाज से लहसुन की चटनी अच्छी रहेगी। पेट में एसिडिटी की समस्या को यह कचौरी दूर करेगी।