स्वास्थ्य

हेपेटाइटिस-B के हर मरीज को दवा जरूरी नहीं, तीन माह में ठीक हो जाता है हेपेटाइटिस- C

World Hepatitis day 28 July special
04 करोड़ से अधिक लोग देश में हेपेटाइटिस-बी की समस्या से ग्रसित हैं। 1.3 करोड़ से अधिक मरीज हैं हेपेटाइटिस सी देशभर में।

जयपुरJul 26, 2020 / 03:46 pm

Hemant Pandey

हेपेटाइटिस-B के हर मरीज को दवा जरूरी नहीं, तीन माह में ठीक हो जाता है हेपेटाइटिस- C

हेपेटाइटिस जानलेवा बीमारी है। लिवर में सूजन हो जाती है। समय पर इलाज न मिलने से लिवर सिरोसिस और बाद में लिवर कैंसर हो जाता है। हर वर्ष लाखों लोगों की असमय मृत्यु हेपेटाइटिस से होती है। इसके हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई पांच प्रकार है। इसमें बी और सी जानलेवा होते हैं। जिन्हें हेपेटाइटिस बी होता, उन्हें ही डी होता है। हेपेटाइटिस ए बच्चों और ई वयस्कों में होता है। हर वर्ष 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाते हैं। इस वर्ष की थीम ‘हेपेटाइटिस फ्री फ्यूचर’ है।
खामोश बीमारी
है हेपेटाइटिस
इस बीमारी के लक्षण बहुत देरी से दिखते हैं। लक्षण दिखने तक लिवर का 60-70त्न हिस्सा खराब हो चुका होता है। इसमें 10-15 साल लग जाते हैं। जिन्हें सर्जरी हुई, ब्लड चढ़ा, एक्सीडेंट हुआ या फिर किसी को फैमिली हिस्ट्री है वे साल में एक बार जरूर स्क्रीनिंग कराएं। फैमिली हिस्ट्री वालों में चार गुना होने का खतरा रहता है।
हेपे-बी के 70त्न मरीजों
को दवा की जरूरत नहीं
हेपेटाइटिस बी के रोगी को आजीवन दवाइयां लेनी पड़ती है। पर लगभग 70त्न मरीजों को दवा लेने की जरूरत नहीं पड़ती है। दवा की जरूरत तब पड़ती है जब बीमारी लिवर को नुकसान पहुंचाती है। हर छह माह में इसका टेस्ट करवाते रहें। यह बीमारी न हो इसके लिए तीन टीके लगते हैं।
हेपेटाइटिस सी के लिए लेनी होती है एक गोली
हेपेटाइटिस बी की तरह सी में भी आजीवन दवाइयां लेनी पड़ती थी लेकिन नई दवा से यह महज तीन माह में पूरी तरह से ठीक हो जाता है। इसमें एक गोली रोज तीन माह तक लेनी पड़ती है। फिर जीवनभर हेपेटाइटिस सी का खतरा नहीं रहता है। कई हॉस्पिटल में नि:शुल्क दवा मिलती है।
कोरोना से अधिक खतरा
हेपेटाइटिस के रोगियों को कोरोना का खतरा अधिक है। इसके मरीजों में कोविड होने से बीमारी नियंत्रित नहीं हो पाती है। जान जाने का खतरा बहुत अधिक हो बढ़ जाता है। हेपेटाइटिस का हर मरीज विशेष सावधानी बरतें।
ऐसे करें बचाव
अगर किसी को फैमिली हिस्ट्री है तो नियमित जांच करवाते रहें। यह शारीरिक संबंधों से भी फैलता है। पीडि़त व्यक्ति को चोट लगने पर वॉटर प्रूफ पट्टी लगाएं। पीडि़त व्यक्ति का रेजर, टूथब्रश, दूसरी निजी चीजें अलग रखें।
डॉ. आर.के. जैन, पूर्व विभागाध्यक्ष, गैस्ट्रोएंटोलॉजी, गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल

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