इसमें दूर की चीजें धुंधली दिखती, सिर भारी रहता, आंखों में पानी आना, जल्दी-जल्दी पलकें झपकाना, रात में आंखों पर रोशनी पडऩे से दिक्कत होना आदि समस्याएं होती हैं। 18 वर्ष के बाद आंखों का नंबर स्थिर हो जाता है।
स्क्रीन टाइम कम करें
यदि समय पर इलाज नहीं हुआ तो रेटिना की खराबी से मोतियाबिंद और ग्लूकोमा होने की आशंका रहती है। टीवी, मोबाइल और कम्प्यूटर का सीमित इस्तेमाल करें। बाहर नहीं जा सकते हैं तो घर में ही टहलें। धूप में रोज 15-20 मिनट बैठें। हरी सब्जियां जैसे गाजर-पालक ज्यादा खाएं। जंक फूड से दूरी बनाएं। आंखों को मसले नहीं। इससे रेटिना पर असर पड़ता है।