वैक्टीरिया कारण
वहीं इस बीमारी को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि डायरिया की बीमारी किसी कैमिकल प्रदूषण की वजह नहीं होती है। जलस्रोत से होने वाली इस बीमारी का कारण जीवाणु है। कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ योग रंजन का कहना है कि डायरिया की बीमारी पानी में पैदा होने वाले कॉलीफार्म वैक्टीरिया के कारण होती है। पानी में किसी भी कैमिकल की अधिकता या कमी से डायरिया नहीं होता है। वहीं विभाग पानी के इस टेस्ट की जिले में सुविधा न होने की बात कह रहा है। पीएचई के ईई लगरखा का कहना है कि जिले में वैक्टीरियल टेस्ट की व्यवस्था नहीं है। वहीं यह परीक्षण कराने के लिए विभाग ने कोई प्रयास भी नहीं किया है।
वहीं इस बीमारी को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि डायरिया की बीमारी किसी कैमिकल प्रदूषण की वजह नहीं होती है। जलस्रोत से होने वाली इस बीमारी का कारण जीवाणु है। कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ योग रंजन का कहना है कि डायरिया की बीमारी पानी में पैदा होने वाले कॉलीफार्म वैक्टीरिया के कारण होती है। पानी में किसी भी कैमिकल की अधिकता या कमी से डायरिया नहीं होता है। वहीं विभाग पानी के इस टेस्ट की जिले में सुविधा न होने की बात कह रहा है। पीएचई के ईई लगरखा का कहना है कि जिले में वैक्टीरियल टेस्ट की व्यवस्था नहीं है। वहीं यह परीक्षण कराने के लिए विभाग ने कोई प्रयास भी नहीं किया है।
बारिश में हर बार परेशानी
विदित हो कि बारिश के मौसम में जिले में हर साल डायरिया फैलने की समस्या सामने आती है। किसी न किसी गांव में दूषित पेयजल से लोग डायरिया की चपेट में आ जाते है और कुछ लोगों की मौत भी हो जाती है। वैज्ञानिक डॉ. योग रंजन का कहना था कि डायरिया पैदा करने वाला जीवाणु कॉलीफार्म गंदगी के कारण पानी में पनपता है। इसमें सामान्य ब्लीचिंग पाउडर आदि का उपयोग करने पर यह 36 से 40 घंटे बाद फिर से पैदा हो जाता है। वह बताते है कि इस जीवाणु के लिए स्थानीय उपाय भी कारगर है। यदि कुआं जैसे जलस्रोतों के पास मुनगा, जामुन आदि के पेड़ होते है तो इस जीवाणु नहीं पनप पाता है। मुनगा और जामुन के फल, लकड़ी और फूल इसके लिए कारगर उपाय है। साथ ही इसमें कुछ विशेष दवाएं उपयोग करने से इसे नष्ट किया जा सकता है ।
विदित हो कि बारिश के मौसम में जिले में हर साल डायरिया फैलने की समस्या सामने आती है। किसी न किसी गांव में दूषित पेयजल से लोग डायरिया की चपेट में आ जाते है और कुछ लोगों की मौत भी हो जाती है। वैज्ञानिक डॉ. योग रंजन का कहना था कि डायरिया पैदा करने वाला जीवाणु कॉलीफार्म गंदगी के कारण पानी में पनपता है। इसमें सामान्य ब्लीचिंग पाउडर आदि का उपयोग करने पर यह 36 से 40 घंटे बाद फिर से पैदा हो जाता है। वह बताते है कि इस जीवाणु के लिए स्थानीय उपाय भी कारगर है। यदि कुआं जैसे जलस्रोतों के पास मुनगा, जामुन आदि के पेड़ होते है तो इस जीवाणु नहीं पनप पाता है। मुनगा और जामुन के फल, लकड़ी और फूल इसके लिए कारगर उपाय है। साथ ही इसमें कुछ विशेष दवाएं उपयोग करने से इसे नष्ट किया जा सकता है ।