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कॉलीफार्म जीवाणु से ही फैलता था डायरिया

Diarrhea was caused by coliform bacteria.

टीकमगढ़May 23, 2024 / 12:36 pm

anil rawat

बड़ागांव: गांव में लोगों का परीक्षण करते हुए टीम।

बड़ागांव: गांव में लोगों का परीक्षण करते हुए टीम।

विभाग बोला- जिले में नहीं वैक्टीरियल टेस्ट की सुविधा, सामान्य टेस्ट में पानी निकला ठीक

टीकमगढ़/बड़ागांव धसान. बड़ागांव धसान क्षेत्र के ग्राम नगारा की हरिजन बस्ती में फैली उल्टी-दस्त की बीमारी से एक मासूम की मौत के बाद जाग प्रशासन ने पूरे गांव की जांच कराने के बाद पानी के लिए नए हैंडपंप का खनन करा दिया है, तो सभी जलस्रोतों में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कराया गया है। मगर इस बीमारी फैलने का कारण क्या है, इसका अब तक पता नहीं चल सका है। विशेषज्ञ जहां इस बीमार का कारण पानी में पैदा होने वाले कॉलीफार्म जीवाणु बता रहे है तो विभाग इसकी जांच की सुविधा न होने की बात कह रहा है। वहीं पानी के दूसरे कैमिकल टेस्ट सामान्य आना बताया जा रहा है।
नगारा में फैली डायरिया की बीमारी ने पांच साल के मासूम राजेंद्र की जान ले ली है। राजेंद्र 6 बहनों के बीच अकेला भाई थी। वहीं इस बीमारी से नगारा की हरिजन बस्ती के 47 लोग चपेट में आए थे। इन सभी की हालत अब सामान्य है और गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम अब भी जुटी हुई है। गांव में हर घर में दवा, ओआरएस वितरण का काम जारी बना हुआ है। यहां की बीमारी तो कंट्रोल हो गई है, लेकिन इसके कारण अब तक विभाग पता नहीं कर सका है। पीएचई के कार्यपालन यंत्री पी लगरखा का कहना ैकि जिस कुएं के पानी से बीमारी फैली थी, उसके पानी के कैमिकल टेस्ट करा लिए गए है और सभी नार्मल आए है। साथ ही बस्ती में पेयजल की व्यवस्था कराने के लिए रात को ही हैंडपंप का खनन करा दिया गया है। साथ ही गांव के दूसरे जलस्रोतों में भी दवाएं डलवाई गई है।
वैक्टीरिया कारण
वहीं इस बीमारी को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि डायरिया की बीमारी किसी कैमिकल प्रदूषण की वजह नहीं होती है। जलस्रोत से होने वाली इस बीमारी का कारण जीवाणु है। कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ योग रंजन का कहना है कि डायरिया की बीमारी पानी में पैदा होने वाले कॉलीफार्म वैक्टीरिया के कारण होती है। पानी में किसी भी कैमिकल की अधिकता या कमी से डायरिया नहीं होता है। वहीं विभाग पानी के इस टेस्ट की जिले में सुविधा न होने की बात कह रहा है। पीएचई के ईई लगरखा का कहना है कि जिले में वैक्टीरियल टेस्ट की व्यवस्था नहीं है। वहीं यह परीक्षण कराने के लिए विभाग ने कोई प्रयास भी नहीं किया है।
बारिश में हर बार परेशानी
विदित हो कि बारिश के मौसम में जिले में हर साल डायरिया फैलने की समस्या सामने आती है। किसी न किसी गांव में दूषित पेयजल से लोग डायरिया की चपेट में आ जाते है और कुछ लोगों की मौत भी हो जाती है। वैज्ञानिक डॉ. योग रंजन का कहना था कि डायरिया पैदा करने वाला जीवाणु कॉलीफार्म गंदगी के कारण पानी में पनपता है। इसमें सामान्य ब्लीचिंग पाउडर आदि का उपयोग करने पर यह 36 से 40 घंटे बाद फिर से पैदा हो जाता है। वह बताते है कि इस जीवाणु के लिए स्थानीय उपाय भी कारगर है। यदि कुआं जैसे जलस्रोतों के पास मुनगा, जामुन आदि के पेड़ होते है तो इस जीवाणु नहीं पनप पाता है। मुनगा और जामुन के फल, लकड़ी और फूल इसके लिए कारगर उपाय है। साथ ही इसमें कुछ विशेष दवाएं उपयोग करने से इसे नष्ट किया जा सकता है ।

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