डाहो के सोरेंसन मैग्नेट स्कूल ऑफ द आट्र्स एंड ह्यूमेनिटीज का मैनू और स्कूलों में सबसे बेहतर माना गया। स्कूल की थाली में नारंगी गाजर और कीवी जैसे फल दिए जा रहे हैं। फ्लोरिडा के अपोलो बीच के डोबी प्राथमिक स्कूल में भुनी हुई फूलगोभी तो वर्मोंट के फेयस्टन प्राथमिक स्कूल में ताजा फलों के साथ अंडे भी दिए जाते हैं। सर्दियों के मेन्यू में अदरक, तिल की मिठाई होती है। कैलिफोर्निया में मिशन वीजो के बाथगेट प्राथमिक स्कूल में बच्चों को गाजर, नाशपाती, खीरे के स्लाइस, सेब और संतरा के अलावा किशमिश, दही और स्ट्राबेरी की आइसक्रीम भी शामिल है। टेनेसी के चैटनूगा के ईस्ट ब्रेनर्ड स्कूल में फ्रूट सलाद, सेब, गाजर, उबला आलू, हरी बीन्स के साथ चॉकलेट और वनिला आइसक्रीम दी जाती है।
भारत में मिड डे मील योजना 15 अगस्त 1995 को पूरे देश के सरकारी स्कूलों में लागू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य बच्चों को पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध करवाकर कुपोषण को खत्म करना है। इसके साथ ही मध्याह्न भोजन योजना से अभिभावकों को बच्चों की शिक्षा के लिए प्रेरित करना भी है। हालांकि हमारे यहां भी सब्जी, दाल, अनाज और चावल दिए जाते हैं। राजस्थान में पिछली सरकार ने मध्याह्न भोजन योजना के अंतर्गत सप्ताह में तीन बार बच्चों को दूध पिलाने की शुुरुआत की गई।
9.90 खरब रुपए खर्च करता है अमरीका हर वर्ष स्कूल लंच प्रोग्राम पर
2.2 करोड़ बच्चों को फ्री, जबकि 18 लाख बच्चों को 28 रुपए में रियायती भोजन
15 अगस्त 1995 में शुरू हुआ मिड डे मील भारत में। बाद में पूरे देश में लागू हुआ