scriptPatrika Explainer: कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट के खिलाफ लड़ाई में क्या है कारगर | Patrika Explainer: What is effective against Coronavirus Delta Plus variant | Patrika News
नई दिल्ली

Patrika Explainer: कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट के खिलाफ लड़ाई में क्या है कारगर

कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट के मामले बढ़ने के साथ यह कई राज्यों में सामने आ रहा है और इसके खिलाफ मजबूत रणनीति अपनाने की तैयारी चल रही है। हालांकि इसके खिलाफ लड़ाई में क्या कारगर हो सकता है, जानना बहुत जरूरी है।

नई दिल्लीJun 26, 2021 / 09:53 pm

अमित कुमार बाजपेयी

Patrika Explainer What is effective against Coronavirus Delta Plus variant

Patrika Explainer What is effective against Coronavirus Delta Plus variant

नई दिल्ली। कोरोना महामारी के मामले थमने के बाद भारत में अब एक नई और बड़ी चिंता सामने आ चुकी है। अब कोरोना वायरस के डेल्टा-प्लस वेरिएंट से जुड़े मामले कम से कम 10 राज्यों में दर्ज किए गए हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी पहचान 10 से अधिक देशों में की जा चुकी है। स्वास्थ्य अधिकारी डेल्टा वेरिएंट के बढ़ते खतरे से चिंतित हैं, लेकिन ऐसे समय जब टीकाकरण अभियान तेजी से चल रहा है और नए इलाज आ चुके हैं, इस तरह के जोखिम का मूल्यांकन कैसे किया जा रहा है और ऐसी कौन सी रणनीति हैं जो इसे बेअसर कर सकती हैं।
डेल्टा-प्लस वेरिएंट क्या है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने डेल्टा-प्लस के ओरिजनल-स्ट्रेन यानी मूल डेल्टा वेरिएंट या B.1.617.2 को वैश्विक स्तर पर चिंता के रूप में स्वीकार किया। डेल्टा-प्लस वेरिएंट के पहले आनुवंशिक तत्व जिसे AY.1 भी कहा जाता है, मार्च में यूरोप में पहचाने गए और फिर, अप्रैल में ब्रिटेन ने कहा कि देश में आए पहले पांच मामले “उन व्यक्तियों के संपर्क थे जिन्होंने नेपाल और तुर्की के माध्यम से यात्रा की थी।”
मूल डेल्टा को नोवल कोरोना वायरस के एक अलग स्ट्रेन के रूप में नामित किया गया था क्योंकि इसमें कुछ विशिष्ट म्यूटेशन दिखाई देते थे जिससे यह वायरस अन्य वेरिएंट्स से अलग व्यवहार करता था। डेल्टा-प्लस वेरिएंट को अन्य म्यूटेशन के साथ लेने के बाद इसे मूल वंश से काफी अलग माना जाता है। इसके मुख्य म्यूटेशन को K417N कहा जाता है और इसमें वायरस की सतह पर स्पाइक प्रोटीन शामिल होता है जिसका इस्तेमाल वह मानव कोशिकाओं पर आक्रमण करने के लिए करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि K417N वायरस को मानव कोशिकाओं को अधिक मजबूती से पकड़ने की अनुमति देता है।
https://twitter.com/hashtag/LargestVaccineDrive?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw
डेल्टा-प्लस को “चिंताजनक वेरिएंट” कहे जाने की सलाह देने वाले भारतीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि इसकी दो अन्य चिंताजनक विशेषताएं हैं: पहला, बढ़ा हुए संक्रमित संचरण, जिसका अर्थ है कि यह तेजी से फैल सकता है और दूसरा, इसमें मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी का प्रतिरोध करने की संभावित क्षमता भी है। बता दें कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी उच्च जोखिम वाले हल्के से मध्यम कोविड-19 मरीजों के लिए देश में इलाज का एक नया तरीका है।
क्या डेल्टा-प्लस वेरिएंट के खिलाफ काम करते हैं टीके?

यही वह अहम सवाल बना हुआ है जिसका वैज्ञानिक और स्वास्थ्य विशेषज्ञ संतोषजनक जवाब तलाश रहे हैं। किसी भी नए महत्वपूर्ण वेरिएंट का सामने आना लगभग हमेशा ही इसके खिलाफ टीकों की प्रभावशीलता के बारे में सवाल खड़ा करते हैं।
ऐसा इसलिए है क्योंकि अगर पहले प्रचलित नोवल कोरोना वायरस के पुराने वेरिएंट्स के खिलाफ टीका विकसित किया गया था, तो अब इस बात का संदेह है कि यह एक नए वेरिएंट के खिलाफ समान रूप से प्रभावी नहीं होगा। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यहां कोई डिफ़ॉल्ट नियम नहीं चल रहा है।
https://www.dailymotion.com/embed/video/x7zhx5s
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि भारत में इस्तेमाल किए जा रहे दो फ्रंटलाइन टीके कोविशील्ड और कोवैक्सिन दोनों डेल्टा-प्लस वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी हैं, हालांकि आगे के विवरण अभी आने हैं।

बीबीसी की एक रिपोर्ट के हवाले से विशेषज्ञों ने कहा कि डेल्टा-प्लस वेरिएंट आबादी के बीच फैलने में तेज हो सकता है और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों या “अपूर्ण वैक्सीन प्रतिरक्षा” वाले लोगों को प्रभावित करने की क्षमता प्रदर्शित कर सकता है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) ने कहा है कि वे डेल्टा-प्लस वेरिएंट का अध्ययन करेंगे कि टीके इसके खिलाफ कितने प्रभावी हैं।

एनआईवी के एक वैज्ञानिक ने कहा, “डेल्टा संस्करण से संबंधित पहले के आंकड़ों के अनुसार, भारत में मौजूदा टीकों के साथ न्यूट्रलाइजेशन हो रहा था। हालांकि न्यूट्रलाइजेशन कम हो गया है, लेकिन यह डेल्टा वेरिएंट से बचाव के लिए पर्याप्त है। डेल्टा प्लस को भी (इसी तरह से) व्यवहार करना चाहिए। हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। हमने इस वेरिएंट को आइसोलेट कर दिया है और हम जल्द ही एक अध्ययन करने जा रहे हैं।”
https://www.dailymotion.com/embed/video/x81ia13
कौन सी रणनीति है कारगर?

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, WHO ने डेल्टा-प्लस के साथ ट्रांसमिशन के ज्यादा जोखिम को नोट किया है और इस वेरिएंट के बारे सलाह जारी की है। डब्लूएचओ के मुताबिक इस वेरिएंट को फैलने से रोकने के लिए लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना, मास्क पहनना समेत सुरक्षा संबंधी अन्य उपायों को नहीं छोड़ना चाहिए। वैक्सीन लगवा चुके लोगों को भी मास्क पहनना नहीं छोड़ना चाहिए।
हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय पहले ही कह चुका है कि जिन इलाकों में यह वेरिएंट पाया जाता है, उन्हें “निगरानी, तेज परीक्षण, तेज कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और टीकाकरण में प्राथमिकता पर ध्यान केंद्रित करके अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया को बढ़ाने की जरूरत हो सकती है। डेल्ट वेरिएंट सामने आने पर ब्रिटेन जैसे देशों ने टीकाकरण की दर में तेजी लाने की रणनीति को अपनाया क्योंकि विशेषज्ञों का मानना है कि टीकाकरण वाले लोग संक्रमित होने पर भी हल्के लक्षण दिखाते हैं।
लेकिन कुल मिलाकर विशेषज्ञों का कहना है कि डेल्टा-प्लस वेरिएंट के सामने भी वही सावधानियां महत्वपूर्ण हैं, जो कोविड-19 महामारी के शुरुआती दिनों से जरूर थीं। इसलिए, व्यक्तिगत स्तर पर मास्किंग, हाथ धोने और दूरी बनाए रखने का लगातार पालन किया जाना चाहिए, जबकि स्वास्थ्य अधिकारियों को किसी भी क्षेत्र में आबादी के माध्यम से महत्वपूर्ण रूप से फैलने से पहले नए वेरिएंट के सामने आने की पहचान करने के लिए उचित परीक्षण, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और जीनोमिक निगरानी सुनिश्चित करने की जरूरत है।
https://www.dailymotion.com/embed/video/x819gvj

Home / New Delhi / Patrika Explainer: कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट के खिलाफ लड़ाई में क्या है कारगर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो