पीरियड्स से पहले होने वाले शारीरिक और मानसिक परेशानियों को प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (Premenstrual syndrome) कहते हैं। इस रिसर्च में पाया गया है कि पीएमएस वाली महिलाओं को प्रेगनेंसी (Pregnancy) के बाद डिप्रेशन होने का खतरा 5 गुना ज्यादा होता है।
इसी तरह, रिसर्च में ये भी पता चला है कि प्रेगनेंसी के दौरान डिप्रेशन में रहने वाली महिलाओं में पीरियड्स के आसपास शारीरिक और मानसिक परेशानी होने का खतरा भी दोगुना होता है। इस रिसर्च में स्वीडन के करोलिंस्का इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने साल 2001 से 2018 के बीच के डाटा का अध्ययन किया. उन्होंने पाया कि जिन 85,000 महिलाओं को प्रेगनेंसी (Pregnancy) के आसपास डिप्रेशन हुआ था, उनमें से 3% को प्रेगनेंसी से पहले पीएमएस की समस्या थी। जबकि जिन 8,50,000 महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान डिप्रेशन नहीं हुआ था, उनमें से सिर्फ 0.6% को पीएमएस की समस्या थी।
अध्ययन के मुख्य लेखक डॉ. डोंगहाओ लू का कहना है कि “ये जरूरी है कि गर्भवती महिलाओं का इलाज करने वाले डॉक्टरों को प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (Premenstrual syndrome) और प्रेगनेंसी (Pregnancy) के आसपास डिप्रेशन के बीच के संबंध के बारे में पता हो, ताकि वे महिलाओं को सही सलाह दे सकें.”
वैज्ञानिकों ने ये भी पाया कि ये दोनों परेशानियां चाहे प्रेगनेंसी (Pregnancy) से पहले हों या बाद में, दोनों ही स्थितियों में ये रिश्ता देखा गया। साथ ही ये भी पाया गया कि जिन महिलाओं को पहले कभी मानसिक रोग नहीं हुआ था, उनमें भी ये रिश्ता देखा गया।