ये दिक्कतें हो सकती
कम नींद से आलस्य, थकान, अरुचि जैसी समस्याएं होती हैं। लोगों के स्वभाव में बदलाव, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, तनाव और डिप्रेशन हो सकता है।
याद्दाश्त : जितनी देर सोते हैं उतनी देर में दिमाग नई ऊर्जा के साथ तरोताजा हो जाता है। नींद पूरी न होने से याददाश्त से जुड़ी परेशानियां होती हैं।
खाने की तीव्र इच्छा : अधूरी नींद से लोगों में मीठी चीजें और जंकफूड खाने की क्रेविंग (तीव्र इच्छा) होती है। मधुमेह का खतरा बढ़ता है।
हृदय संबंधी : नींद पूरी नहीं होने से शरीर में विषाक्त पदार्थों की सफाई नहीं हो पाती है। इससे उच्च रक्तचाप और हार्ट स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।
हड्डी-जोड़ संबंधी : नींद की कमी से हड्डियों में मौजूद मिनरल्स का संतुलन बिगड़ जाता है। इससे जोड़ों में दर्द हो सकता है।
ये गलतियां न करें
– देर रात पार्टी व खाने की आदत
– सोने से पूर्व मोबाइल-टीवी देखना
– चाय-कॉफी, धूम्रपान, अल्कोहल
– सोने से पूर्व स्नैक्स-मीठा न खाएं
– दिन की बातों पर तनाव नहीं लें
…तो आएगी सुकून की नींद
– सोने से 2 घंटे पहले करें भोजन, पाचन रहेगा दुरुस्त
– तय समय पर सोएं, ब्लू लाइट बंद करें। किताबें पढ़ें।
– सोने से पहले 30 मिनट पैदल टहलें, गुनगुना दूध पीएं।
– पैरों को गुनगुने पानी से धोएं, तलवों की मसाज करें।
– नियमित योग-प्राणायाम या कोई व्यायाम जरूर करें।
उम्र के अनुसार नींद
नवजात (0-3 माह)- 14 से 17 घंटे
ध्यान दें : 19 घंटे से ज्यादा न सोने दें।
शिशु (4-11 माह)- 12 से 15 घंटे
जरूरी बात : 10 घंटे से कम व 18 घंटे से अधिक न सोने दें।
बच्चा (1-2 साल)- 11 से 14 घंटे
जरूर जानें : 9 घंटे से कम, 16 घंटे से अधिक नुकसानदेय
स्कूल पूर्व की उम्र (3-5 साल)- 10 से 13 घंटे
आवश्यक: 8 घंटे से कम और 14 घंटे से ज़्यादा नींद नहीं।
स्कूली बच्चे (6-13 साल)- 9 से 11 घंटे
महत्त्वपूर्ण : 7 घंटे से कम और 11 घंटे से अधिक नींद ठीक नहीं
किशोरावस्था (14-17 साल)- 8 से 10 घंटे
सावधानी: 7 से कम और 11 घंटे से ज्यादा की नींद ठीक नहीं
युवा (18-25 साल)- 7 से 9 घंटे
याद रखें : 6 घंटे से कम और 11 घंटे से अधिक नुकसानदेय
वयस्क-बुजुर्ग (26-64 साल)- 7 से 9 घंटे
नींद कम हो या ज्यादा, शरीर के जैविक चक्र पर असर डालती हैं।
(स्रोत : नेशनल स्लीप फाउंडेशन)
– डॉ.नरेंद्र खिप्पल, सीनियर चेस्ट फिजिशियन, एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर