न्यूरॉन्स की टीम है जिम्मेदार
चूहों पर परीक्षण कर प्रमुख शोधकर्ता कार्लोस लूइस ने यह निष्कर्ष निकाला है कि मजबूत और गहरी यादों को एक खास सिंक्रोनाइजेशन में एक साथ काम करने वाली दिमाग में मौजूद न्यूरॉन्स की टीम बनाती हैं, जो जिंदगी भर हमारी स्मृति में कायम रहती हैं। शोध के जरिए यह भी जानने का प्रयास किया गया कि स्ट्रोक या अल्जाइमर जैसे रोगों से मस्तिष्क क्षति के बाद स्मृति कैसे प्रभावित होती है।
ऐसे लगाया यादों का पता
शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में चूहों के दिमाग की तंत्रिका संबंधी गतिविधियों का अध्ययन कर यह पता लगाया कि वे नई जगहों के बारे में कैसे याद रखते हैं। उन्होंने एक खास रास्ते पर कुछ दूरी पर निशान लगाकर चीनी रखकर चूहों को उस पर चलने दिया। शोधकर्ताओं ने दिमाग का हिप्पोकैम्पस (मस्तिष्क का वह क्षेत्र जहां नई यादें सबसे पहले उभरती हैं) में विशिष्ट न्यूरॉन्स की गतिविधि को मापा जो खास निशान वाले स्थानों को सांकेतिक शब्दों में बदल रहे थे। जब भी चूहा कोई नया निशान देखता तो दिमाग के इस खास हिस्से में वह अंकित हो जाता। अपने अनुभव के आधार पर चूहे जल्द ही इस रास्ते के आदि हो गए। इसके बाद उन्हें तय स्थान तक पहुंचने के लिए यहां-वहां देखने की जरुरत नहीं पड़ी। जैसे-जैसे चूहे इस रास्ते से और अधिक परिचित होते गए वैसे-वैसे हिप्पोकैम्पस में मौजूद न्यूरॉन्स एक खास चक्र में गतिशील होते गए।
अच्छी यादें गहरी होती हैं
यह पता लगाने के लिए कि स्मृतियां कैसे विलुप्त हो जाती हैं, वैज्ञानिकों ने इन चूहों को २० दिन के लिए लैब के दस खास हिस्से से हटा दिया। लेकिन चीनी की वजह से इन चूहों को यह जगह याद रही क्योंकि इससे उनकी अच्छी यादें जुड़ी हुई थीं। वैज्ञानिकों ने पाया कि ज्यादातर चूहों ने रास्ते को बिल्कुल सही तरीके से पार किया जैसे वे पहले करते आ रहे थे। वैज्ञानिकों ने बताया कि यह ठीक वैसे ही काम करता है जैसे हम एक विशेष घटना को कुछ दोस्तों को बता दें और समय-समय पर वे हमें उस कहानी या घटना को सुनाते रहें जिससे वे हमारे दिमाग में बहुत गहराई तक उतर जाती हैं और हम उन्हें कभी नहीं भूलते। इससे किसी भी घटना से संबंधित यादों को चूहे लंबे समय तक दिमाग में तरो-ताजा रख सकते हैं। हमारे दिमाग में भी न्यूरॉन्स इसी तरह घटनाओं और यादों को याद रखने में एक-दूसरे की मदद करते हैं।