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स्वास्थ्य

Synthetic Food Colour बनाते हैं रोगी

हर घर में कोई न कोई एक व्यक्ति ऐसा होता है जो मीठा खाने का शौकीन होता है और वह इस कारण रोजाना मिठाई खाता है। सावधान रहें, इनमें मौजूद रंगों से सेहत पर दुष्प्रभाव भी होता है।

Sep 06, 2019 / 04:01 pm

Divya Sharma

Synthetic Food Colour is dangerous for Health

Synthetic Food Colour बनाते हैं रोगी

त्योहारों का सीजन आते ही मार्केट में मिठाइयों की बहुतायत में बिक्री होती है। ये दिखने में इतनी रंग -बिरंगी होती हैं कि इन्हें देखते ही मुंह में पानी आने लगता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनमें सिंथेटिक रंगों की मिलावट भी हो सकती है। एफएसएसएआई ने ङ्क्षसथेटिक रंग की मात्रा तय कर रखी है। 100 पीपीएम यानी 10 किलो मिठाई में केवल एक ग्राम या इससे भी कम प्रयोग होने के नियम है। निर्माता इससे अधिक प्रयोग करते हैं तो यह शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
डार्क कलर से झांसा
ऐसा जरूरी नहीं मिठाई उसके नाम के अनुरूप दिखे। जैसे केसर बर्फी का गहरा केसरी रंग उसमें केसर के कारण नहीं बल्कि गहरे सिंथेटिक फूड कलर के कारण होता है। इसी प्रकार पाइनेपल या चॉकलेट बर्फी आदि में पाइनेपल या चॉकलेट नहीं होता। ये फूड कलर व फ्लेवर से बनती हैं।
हो सकती है एलर्जी
अप्रूव्ड फूड कलर भी सिंथेटिक हैं जैसे लाल (इरिथोसिन, कारमोसिन), पीला ( सनसेट येलो, टारटाजीन), हरा( फास्ट ग्रीन एफसीएफ)। ये ऐजो, इंडिगोइड केमिकल प्रकृति के हैं। अधिक प्रयोग से एलर्जी व अन्य रोगों की आशंका रहती है। इसमें आर्टिकेरिया मुख्य है जिसमें अचानक चेहरे, होंठ व आंखों में सूजन, लालिमा, त्वचा पर लाल रंग के चकत्ते हो जाते हैं। बच्चों में चिड़चिड़ापन मुख्य है। सावधानी से मिठाई खाएं।
एक्सपर्ट : सुशील चोटवानी, फूड सेफ्टी ऑफिसर, जयपुर

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