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स्वास्थ्य

केमिकल से खराब होती है त्वचा, घर बनाएं प्राकृतिक रंग

खुशी व उल्लास का त्योहार का रंग फीका न पड़ जाए, इसलिए कुछ सावधानियां भी जरूरी हैं। अबीर व गुलाल में खतरनाक केमिकल मिले होते हैं जिससे स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत हो सकती है। त्वचा पर रैशेज, जलन हो सकती है।

Mar 19, 2019 / 09:03 pm

Ramesh Singh

HOLI

केमिकल से खराब होती है त्वचा…घर पर बनाएं प्राकृतिक रंग

आप घर पर ही प्राकृतिक रंग बना सकते हैं। इन रंगों का प्रयोग करने से त्वचा सुरक्षित और मुलायम रहेगी। इसलिए घर पर बने प्राकृतिक रंगों से होली खेलें। यदि ये शरीर के अंदर चले भी जाते हैं तो किसी तरह से कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।
हल्दी, गेंदा फूल और मौसमी के छिलके से बनाएं
पीला : हल्दी, बेसन, गेंदा के फूल व मौसमी के सूखे छिलके को पीसकर बनाते हैं।
बनाने की विधि : 100-100 ग्राम हल्दी व बेसन, 20 गेंदा के फूल की पत्तियां, २० ग्राम मौसमी के सूखे छिलके व 15-20 बूंदे नींबू के रस या चंदन तेल की। इन्हें बड़े बर्तन में अच्छे से मिक्स कर सुखा सकते हैं या फिर पानी में रख सकते हैं।
हरा रंग : हरी पत्तेदार सब्जियां, मेथी, पुदीना और मेहंदी के पौधों की पत्तियों से बनाया जाता है।
बनाने की विधि : एक किलोग्राम हरी सब्जियों की पत्तियों को सुखाकर अच्छे से पीस लें। इस पेस्ट को करीब एक लीटर पानी में मिलाकर कुछ देर तक रख दें। इसके बाद इसे छान लें। सूखा रंग बनाने के लिए पत्तियों को पीसने के बाद पानी न मिलाएं। इसे सुखाएंं। इसके बाद पीसकर इसे पाउडर बना लेंं। यह चेहरे पर चमक लाता है और यदि शरीर में जाता भी है तो पोषक तत्व ही मिलते हैं।
नारंगी :
मौसमी फल के सूखे छिलके, टेसू के फूल व बेसन का प्रयोग करते हैं।

बनाने की विधि : टेसू के फूल व मौसमी के छिलकों को बराबर की मात्रा में लेकर सुखा लें। इसके बाद इसे पीसकर पाउडर बना लें। होली से एक दिन पहले रातभर पानी में भिगोएं और सुबह छान लें। केसरिया रंग के लिए बेसन और हल्दी को भी मिलाया जा सकता है।
खतरनाक हैं केमिकल रंग
केमिकलयुक्त रंग स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। लाल रंग में मर्करी सल्फाइट से स्किन कैंसर, हरे रंग में कॉपर सल्फेट से एलर्जी, बैंगनी रंग में क्रोमियम आयोडाइड से ब्रॉन्कियल अस्थमा, सिल्वर रंग में एल्युमीनियम ब्रोमाइड, शीशा का चूर्ण से त्वचा पर रैशेज, जलन, कैंसर की दिक्कत हो सकती है। गुलाल में रेत व कांच का बूरा मिला होता है।
– नवल किशोर गुप्ता, उद्यान विशेषज्ञ

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