2030 तक भारत में हो सकते हैं 8 करोड़ डायबिटीज मरीज: विश्व स्वास्थ्य संगठन
डायबिटीज यानी शुगर की बीमारी का सबसे बड़ा कारण है ‘हमारा लाइफ़स्टाइल’। अगर हम अपने खाने पीने की आदतों में और अपने जीवन शैली में थोड़ा बदलाव लाए तो इस बीमारी को काफी हद तक कंट्रोल करना संभव है। हालांकि इंटरनेशनल डायटबिटीज फेडरेशन (आईडीएफ) का कहना है कि इस वक्त देश में डायबिटीज के 5 करोड़ से ज्यादा मरीज हैं। आईडीएफ के मुताबिक आने वाले दो दशकों में लगभग 8.7 करोड़ भारतीय इस खतरनाक बीमारी की चपेट में आ जाएंगे। वहीं दुनिया भर में 23 करोड़ लोग इस क्रॉनिक बीमारी के साथ जी रहे हैं। आने वाले 20 साल में यह तादाद बढ़कर 35 करोड़ तक पहुंच सकती है। बेहतर खान पान और स्वस्थ जीवनशैली से हम इस क्रॉनिक बीमारी से न केवल छुटकारा प् सकते हैं बल्कि आने वाली पुश्तों को भी यह बीमारी विरासत में देकर जाने से बच सकते हैं। तो आइये जानते हैं की मधुमेह से छुटकारा पाने के लिए किन उपायों पर ध्यान देने की ज़रूरत है।
हेल्दी खाएं, शारीरिक मेहनत करें, वजन कंट्रोल में रखें, वॉकिंग और व्यायाम करें। नियमित रूप से डॉक्टर से जांच करवाते रहें। आयुर्वेद में खाने की जितनी कड़वी चीजें हैं, वे डायबिटीज के मरीजों में शुगर और फैट को नियंत्रण में रखने में सहायक होते हैं। जैसे जौ, बाजरा, हल्दी, मेथी वगैरह।
-उचित व्यायाम अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। रिसर्च बताती है की रोज़ एक्सरसाइज करने से हमारा माटेबोलिज़्म भी अच्छा रहता है , जो की डायबिटीज के रिस्क को भी कम करता है।
-हर इन्सान को हर रात 7-8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। इससे उनमें डायबिटीज होना का खतरा कम रहता है, उन लोगों से जो कम सोते है। -ज्यादा कैफीन लेने से हार्ट डिजीज की प्रॉब्लम हो सकती है।लेकिन अगर यह एक हाथ में लेकर ली जाए तो यह ब्लड शुगर लेवल को मेंटेन कर सकती है। रोजाना बिना चीनी की ग्रीन टी पीजिए क्योंकि इसमें एंटी ऑक्सीडेंट होता है जो कि शरीर में फ्रीरैडिकल्स से लड़ाई करता है और ब्लड शुगर लेवल को मेंटेन करता है।
-आपको चीनी, गुड़, शहद, कोल्ड ड्रिंक्स आदि कम खानी चाहिए जिससे ब्लड में शुगर का लेवल बिल्कुल कंट्रोल में रहे। ज्यादा मीठी चीजे और मीठे लिक्विड (Liquids) का सेवन इंसुलिन के लेवल को बढ़ा सकता है।
-ताजे फलो में नेचुरल शुगर बहुत अच्छी मात्रा में पाई जाती है। जो की आपकी मिनरल्स और विटामिन्स की कमी को पूरा करेंगे साथी आपकी शुगर को भी कंट्रोल करती है। ताज़ा सब्जियों में आयरन, जिंक, पोटेशियम, कैल्शियम और अन्य आवश्यक पोषक तत्त्वों का सेवन करना चाहिए। जो हमारे शरीर को न्यूट्रीशन प्रदान करते है।
-डायबिटीज के मरीजों को न केवल नमक, चीनी और कार्बोहाइड्रेट से दूर रहना चाहिए बल्कि उनको ट्रांस फैट से बनी चीज़े भी नहीं खाना चाहिए। -पानी खून में बढ़ी शुगर को इक्ट्ठा करता है, जिस वजह से आपको 2.5 लीटर पानी रोजाना पीना चाहिए। इससे ना ही आपको हृदय रोग होगा और ना ही डायबिटीज।
-ग्रीन टी में उच्च मात्रा में पॉलीफिनॉल पाया जाता है. ये एक सक्रिय एंटी-ऑक्सीडेंट है. जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मददगार है. प्रतिदिन सुबह और शाम ग्रीन टी पीने से फायदा होगा.
-सहजन की पत्तियों का रस भी डायबिटीज कंट्रोल करने में बहुत कारगर है. ड्रमस्टिक की पत्तियों को पीसकर उसे निचोड़ ले और सुबह खाली पेट इसका सेवन करें. इससे शुगर लेवल बढ़ेगा नहीं। -जामुन के बीज भी डायबिटीज कंट्रोल करने में फायदेमंद हैं. जामुन के बीजों को अच्छी तरह सुखा लें. सूखने के बाद इन्हें पीसकर एक चूर्ण बना लें. सुबह खाली पेट जामुन के बीजों को गुनगुने पानी के साथ लें । इससे डायबिटीज कंट्रोल करने में मदद मिलेगी । -तुलसी की पत्तियों में एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. इसके अलावा इसमें कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो पैंक्रियाटिक बीटा सेल्स को इंसुलिन के प्रति सक्रिय बनाती हैं। ये सेल्स इंसुलिन के स्त्राव को बढ़ाती हैं। सुबह उठकर खाली पेट दो से तीन तुलसी की पत्ती चबाएं. आप चाहें तो तुलसी का रस भी पी सकते हैं। इससे ब्लड शुगर लेवल कम होता है।
-दालचीनी भारतीय व्यंजनों में इस्तेमाल होने वाला एक प्रमुख मसाला है. दालचीनी के प्रयोग से इंसुलिन की संवेदनशीलता बढ़ती है। ये ब्लड में शुगर के लेवल को कम करने और नियंत्रित करने में मददगार है। इसके नियमित सेवन से मोटापा भी कम किया जा सकता है। दालचीनी को महीन पीसकर पाउडर बना लें और उसे गुनगुने पानी के साथ लें। मात्रा का विशेष ध्यान दें. बहुत अधिक मात्रा में ये पाउडर लेना खतरनाक हो सकता है। -हरी पत्तेदार सब्जियां अगर रोज खाई जाएं तो मधुमेह की बीमारी से बचा जा सकता है. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल की एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई है। हालांकि रिपोर्ट बनाने वालों का कहना है कि अभी और रिसर्च करने की जरूरत है।
डिस्क्लेमर- सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। राजस्थान पत्रिका इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।
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