नोटबंदी को 50 दिन पूरे हो चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की देश की जनता से मांगी गई 50 दिन की मोहलत भी खत्म हो चुकी है। देश की तरह प्रदेश ही भर में नोटबंदी का अलग अलग असर देखने को मिला है।
भोपाल। नोटबंदी को 50 दिन पूरे हो चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की देश की जनता से मांगी गई 50 दिन की मोहलत भी खत्म हो चुकी है। देश की तरह प्रदेश ही भर में नोटबंदी का अलग अलग असर देखने को मिला है। कहीं कैश की इतनी ज्यादा दिक्कत महसूस हुई कि लोग एटीएम के बाहर ही बिस्तर लगा कर सोते नजर आए, तो कहीं पुलिस की लाठी खाकर भी अपना पैसा निकालने की कोशिशें जारी रहीं। कुछ लोग नोटबंदी के फैसला को सही मानकर इसे विकास का रास्ता बता रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि इस सब से सिर्फ आम आदमी ही परेशान हुआ है।
बहरहाल पीएम मोदी की मांगी गई मोहलत खत्म हो चुकी है। जनता की तरफ से मिली जुली प्रतिक्रिया आ रही है, लेकिन इस सब को देखते हुए एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं, वो हम आपको बताने जा रहे हैं। क्या वाकई नोटबंदी के बाद से अब तक सारी चीजें बिल्कुल सही दिशा में आ रही हैं, क्या वाकई ये फैसला भविष्य के बेहतर सुधारों को देखते हुए लिया गया था, क्या वाकई इससे कालाधन पूरी तरह खत्म हो जाएगा, क्या वाकई आम आदमी के लिए ये कुछ दिनों की परेशानी थी। इन जैसे तमाम सवाल हैं, जो प्रधानमंत्री की मोहलत खत्म होने के बाद भी लोगों के दिमाग में घूम रहे हैं।
आसान नहीं है 2017 की राह
चार्टर्ड अकाउंटेंट और इकॉनमिस्ट अंकित छाबडिया का मानना है कि भले ही 50 दिन का समय खत्म हो गया हो, लेकिन लोगों की समस्याएं इतनी जल्दी खत्म नहीं होगीं। मध्य प्रदेश के बारे में एक बड़ी बात ये रही कि बाकी राज्यों की तुलना में नोटबंदी को लेकर कोई बहुत बड़ा हंगामा नहीं हुआ, लेकिन बड़ी बात ये भी है कि नए नोट में रिश्वत लेने का पहला प्रकरण भी मध्य प्रदेश में सामने आया था।
इसके बाद एटीएम के बाहर हुई मौतों की सुर्खियां भी छाईं रहीं। कुल मिलाकर 50 दिनों को निचोड़ कर देंखे तो मुश्किलें ही मुश्किलें हाथ आईं।
नए नियमों ने सबसे ज्यादा किया परेशान
नोटबंदी के बाद सबसे ज्यादा जिस मुद्दे पर लोग परेशान हुए वो था बार बार नियमों का बदला जाना। 8 नवंबर की रात कुछ ही घंटों में 500-1000 के नोटों का दैनिक जीवन में कोई इस्तेमाल नहीं रह गया था। नोट सिर्फ जमा हो रहे थे, उस पर सबसे बड़ी परेशानी ये थी कि लोग अपना ही पैसा निकालने के लिए घंटों तक लाइन में खड़े हुए थे। इसके बाद कैश लिमिट तय हुई, फिर बढ़ी उसके बाद फिर से कम हो गई।
तब से लेकर 50 दिन पूरे होने तक हर दो से तीन दिन में एक नया नियम लोगों के लिए परेशानी का सबब बना रहा। हर दिन आरबीआई व केंद्र से जो नए-नए नियम सामने आए, उससे समस्या हल होने की बजाए बढ़ती गई। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अभी भी ये समस्याएं जल्द आसान होती नहीं दिखती।
ठप्प हो गया रियल स्टेट, कैशलेस की ओर बढ़े कदम
एक्सपर्ट व्यू के हिसाब से प्रदेश में बड़े मॉल को छोड़ दें तो बाकी जगह कारोबार ठप पड़ा हुआ है। रिअल एस्टेट में चार-पांच दिन खूब पैसा खपा, लेकिन इसकी नींव हिली है, जिसका असर आने वाले दिनों में दिखेगा।
रिअल एस्टेट के दाम गिरेंगे। वहीं दूसरे कारोबार में भी कीमतों में कमी आ सकती है। सरकार ने कैशलेस को लेकर जो कदम अभी तक उठाए हैं, वे ज्यादा राहत वाले नहीं है।
कैशलेस पेमेंट की ओर बढ़ा रुझान
इतना जरूर है कि कैशलेस पेमेंट की ओर लोगों का रूझान भी बढ़ेगा, फिर भी ग्रामीण सेक्टर अभी भी कैश पर निर्भर हैं। वहां कैशलेस को पूरा नेटवर्क ही नहीं है। ऐसे में आने वाले दिन दोहरे तरीके से चुनौतीपूर्ण होंगे।
पहले तो कैश की किल्लत को खत्म करना चुनौती है, दूसरा कैशलेस सिस्टम के लिए नेटवर्क बढ़ाना होगा। कम से कम अभी छह महीने और इस समस्याओं से जूझते हुए गुजरेंगे।