अब यंग स्ट्रोक की समस्या
दिमाग की आर्टरी में ब्लॉकेज को ब्रेन स्ट्रोक कहते हैं। यह उम्रदराज लोगों की नहीं, युवाओं की बीमारी हो गई है। इसलिए इसे यंग स्ट्रोक कहते हैं। मोटापा, स्मोकिंग, अल्कोहल, खराब जीवनशैली तनाव कारण हैं। इससे बचाव के लिए 29 अक्टूबर को हर वर्ष वल्र्ड स्ट्रोक डे मनाया जाता है।
पहचानें ब्रेन स्ट्रोक लक्षण
ब्रेन स्ट्रोक दो तरह का होता
ब्रेन स्ट्रोक की पहचान होने पर मरीज को थ्राबोलाइसिस इंजेक्शन जितना जल्दी लग जाता है उतना शरीर में नुकसान कम होता है। ब्रेन स्ट्रोक दो तरह का होता है। मिनी स्ट्रोक में मरीज को बोलने में दिक्कत होती है। शरीर एक तरफ का हिस्सा काम करना बंद कर देता है। 24 से 48 घंटे में ठीक हो जाता है। फुल फ्लैज्ड स्ट्रोक में चेहरा टेढ़ा, बोलने में दिक्कत या आवाज चली जाती है। अटैक मेन आर्टरी पर तो 50 फीसदी मामलों में ही मरीज की रिकवरी हो पाती है।
पहले माइनर स्ट्रोक आता
ब्रेन स्ट्रोक अक्सर सुबह के समय आता है क्योंकि उस समय ब्लड प्रेशर ज्यादा होता है। कई बार ब्रेन स्ट्रोक से पहले माइनर अटैक आते हैं जैसे कुछ समय के लिए आवाज लडख़ड़ाना, हाथ बेजान से महसूस होना जैसे लक्षण हो सकते हैं। 40% लोग स्ट्रोक के बाद विकलांगता का शिकार होते हैं क्योंकि वो समय रहते अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते हैं।
– डॉ. सी.पी. पाटीदार वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट जयपुर