इसकी वजह क्या है?
पैरों की नसों में छोटे-छोटे वन-वे वॉल्व (जहां से रक्त केवल एक दिशा में ही प्रवाहित होता है) होते हैं। जब ये अपना काम ठीक से नहीं करते तो नसों में खून जमा होने लगता है जिससे वैरीकोज वेंस की समस्या होती है।
किन्हें इसका खतरा होता है?
लगातार कई घंटों तक खड़े रहने वाले लोगों में यह समस्या ज्यादा होती है। इसके अलावा बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को भी इसका खतरा हो सकता है।
प्रमुख लक्षण क्या हैं?
इस रोग में पैरों की नसें ऊपर की ओर उभरकर आ जाती हैं जिससे उस स्थान पर दर्द, खुजली, सूजन और कालापन आदि हो सकता है।
इस रोग का पता कैसे चलता है?
इस रोग के लिए कलर डॉप्लर जांच की जाती है जो एक प्रकार की कलर सोनोग्राफी होती है।
इलाज क्या है?
पहले इसका इलाज सिर्फ ऑपरेशन से ही संभव था। लेकिन अब रेडियो फ्रिक्वेंसी तकनीक के जरिए भी कई बड़े अस्पतालों में इसका इलाज किया जाता है। इसमें चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती।
रोग दोबारा हो सकता है?
90 फीसदी मामलों में यह समस्या दोबारा नहीं होती। लेकिन कई बार नसें उस स्थान के बजाय नए स्थानों पर अपने चैनल्स बना लेती हैं जिससे यह परेशानी दोबारा हो सकती है।
बचने के लिए उपाय?
लंबे समय तक खड़े होने से बचें। पैदल चलें व लक्षण सामने आने पर लापरवाही किए बगैर डॉक्टर से संपर्क कर उचित सलाह लें।