पतंजलि के कर्ता-धर्ता बाबा रामदेव (Baba Ramdev) के अनुसार कोरोनिल में गिलोय, अश्व गंधा, तुलसी, श्वसारि रस और अणु तेल का मिश्रण है। उनके मुताबिकए यह दवा दिन में दो बार सुबह और शाम को ली जा सकती है। पतंजलि का कहना है कि अश्व गंधा से कोविड-19 के रिसेप्टर-बाइंडिंग डोमेन (RBD) को शरीर के एंजियोटेंसिन-कन्वर्टिंग एंजाइम (ACE) से नहीं मिलने देता। इसका मतलब यह है कि दवा के शरीर में मौजूद होने पर कोरोना के प्रोटीन स्पाइक्स (Corona Protien Spikes) इंसान की कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर पाते। जबकि इस दवा में मौजूद गिलोय के चमत्कारिक गुण कोरोना के संक्रमण को शरीर के अन्य अंगों तक फैलने से रोकता है। तुलसी कोरोना वायरस के आरएनए पर हमलाकर उसे कमजोर करती है जिससे कोरोना वायरस तेजी से अपनी संख्या नहीं बढ़ा पाते।
पतंजली ने यह भी बताया कि इस दवा को जल्द ही देशभर में नेटवर्क की तरह फैले उनके पतंजली स्टोर से लिया जा सकेगा। जल्द ही एक ऐप भी लॉन्च किया जाएगा जिसकी मदद से उपयोगकर्ता आसानी से इस दवा को परचेज कर सकेंगे या ऑनलाइन ऑर्डर बुक कर सकेंगे। बाबा रामदेव का कहना है कि इस दवा के उपयेाग का 100 फीसदी रिकवरी रेट है। इस दवा को महीनों की रिचर्स, आयुर्वेद के ज्ञान और वायरस की कार्यशैली का जांच करने के बाद तैयार किया गया है।
सस्ती और सर्वत्र उपलब्ध दवा डेक्सामेथासोन के बारे में भी यह दावा किया जा रहा है कि यह दवा कोरोना वायरस गंभीर रूप से संक्रमित रोगियोंं की जान बचा सकती है। ब्रिटेन के विशेषज्ञों का कहना है कि कम मात्रा में इस दवा का उपयोग करने से बड़ी कामयाबी मिली है। वेंटिलेटर पर गए मरीजों की जान बचाने में इस दवा ने कमाल का असर दिखाया है। दरअसल, डेक्सामेथासोन 1960 के दशक से गठिया और अस्थमा के इलाज में इस्तेमाल हो रही है। लेकिन अब शोधकर्ताओं का अनुमान है कि अगर इस दवा का इस्तेमाल पहले किया जाता तो हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती थी। एक अन्य दवा रेमडेसिवियर को भी लोग कोरोना के संभावित इलाज के रूप में देख रहे हैं।