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CORONA VACCINE : इस बात से खफा है कोरोना वैक्सीन के लिए पहला ट्रायल देने वाला शख्स

-मॉर्डना कंपनी के वक्सीन का दो बार हाई डोज दिया गया-लोगों में वैक्सीन को लेकर अविश्वास से निराश हैं इयान हेडन

Oct 04, 2020 / 11:26 pm

pushpesh

किस बात से खफा है कोरोना वैक्सीन के लिए पहला ट्रायल देने वाला शख्स

कोरोना वैक्सीन के लिए पहला ट्रायल देने वाले इयान हेडन

न्यूयॉर्क. अप्रेल में कोरोनावायरस टीकों के परीक्षण के लिए अनुबंध करने वाले दुनिया के पहले शख्स इयान हेडन वैक्सीन को लेकर हो रही राजनीति से दुखी हैं। हेडन को मॉडर्ना की ओर से तैयार प्रायोगिक टीके एमआरएनए-127 का दो बार हाई डोज लगाया गया। ये बड़ा जोखिम था। अब यह क्लीनिकल ट्रायल के अंतिम चरण में है और महामारी की रोकथाम के लिए प्रभावी साबित हो सकता है। लेकिन ‘अविश्वास’ टीकाकरण की राह में सबसे बड़ी बाधा है।
पिछले दिनों राष्ट्रपति ट्रंप ने वादा किया था कि अप्रेल, 2021 तक हर अमरीकी के लिए टीका बन चुका होगा। ट्रंप के अति आत्मविश्वास को अमरीकी लोगों ने उस वक्त ठुकरा दिया, जब प्यू रिसर्च सेंटर के सर्वेक्षण में आधे से अधिक अमरीकियों ने कहा, वे टीका नहीं लेंगे। चिंताएं लाजमी हैं, लेकिन भरोसा भी जरूरी है। यदि ज्यादातर अमरीकियों ने इसे लेने से इनकार किया तो टीके के लिए इतने जोखिम और जल्दबाजी का क्या अर्थ है? भरोसे का ये संकट टीके के विकास की गति को कमजोर करेगा। राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप करना न केवल खतरनाक होगा, बल्कि मेरे जैसे हजारों वैक्सीन वॉलंटियर्स का अपमान भी होगा, जो जनहित में जोखिम लेते हैं।
यों परीक्षण से गुजरे मैं और मेरी मां
-पहले चरण में मॉडर्ना वैक्सीन की हाईडोज देने के बाद मुझे एक दिन तक सैकड़ों बार मतली, बुखार और दूसरे अप्रिय दुष्प्रभाव नजर आए। इससे वैज्ञानिकों को पता चला कि जो खुराक मुझे दी गई, वह अत्यधिक थी। उस स्तर पर अब परीक्षण नहीं होगा।
-दुष्प्रभाव देखने के लिए अगले चरण में मेरी मां सहित हजारों वॉलंटियर्स को टीका-दवा दी गई और इस बात की निगरानी की गई कि क्या उन पर वायरस हमला करता है। वैक्सीन वालों की बजाय औषधि लेने वालों को वायरस ने अधिक संक्रमित किया।
कंपनी और एजेंसियों पर भरोसा जरूरी
तीन चरणों में असर और संक्रमण से जुड़े महत्वपूर्ण डेटा स्वतंत्र निगरानी बोर्ड देखता है। लेकिन इसके बाद नियामकों को दबाव के दौर से गुजरना होता है। सरकारों को कंपनियों और स्वतंत्र नियामकों पर भरोसा करना चाहिए। टीके के अंतिम चरण में निर्णायक परिणाम आने से पहले ही टं्रप की तरह वादा नहीं करना चाहिए। इससे न केवल वैक्सीन कंपनियों पर दबाव बढ़ता है, बल्कि टीकों की सिलसिलेवार परीक्षण प्रणाली भी बाधित होती है। राजनीतिक हस्तक्षेप और अविश्वास के कारण मेरी तरह हजारों वॉलंटियर्स की मेहनत और जोखिम व्यर्थ न हो जाए।
चार कंपनियों के टीके परीक्षण के अंतिम दौर में
मॉडर्ना, एस्ट्रा जेनेका, फाइजर और जॉनसन एंड जॉनसन ने अपने तीसरे चरण की योजनाओं को सार्वजनिक रूप से जारी किया है, ताकि लोगों में इनके परीक्षण को लेकर कोई शंका न रहे। प्रत्येक परीक्षण में हजारों स्वयंसेवकों की भर्ती की जा रही है और 150 से 170 परीक्षण के दौर से यह गुजरती है।

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