गौरतलब है कि हाल ही गेब्रेयासेस ने कोविड-१९ के नैदानिक परीक्षण के लिए मलेरिया की हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा पर चल रहे शोध की शाखा को निलंबित करने के बाद फिर से इसे शुरू करने की बात कही थी। टेड्रोस ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों ने सुरक्षा डेटा की समीक्षा करने के बाद फिर से योजना को जारी रखने की सिफारिश की है। यहां सिफारिश का मतलब है कि डॉक्टर जल्द ही संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी के अध्ययन में नामांकित रोगियों को दवा देना फिर से शुरू कर सकेंगे। महानिदेशक टेड्रोस ने कहा कि अब तक 35 देशों में 3500 से अधिक लोगों को ट्रायल में शामिल किया जा चुका है।
वहीं डब्ल्यूएचओ ने चार संभावित दवाओं के वैश्विक परीक्षण के मेगाट्रायल की अनुमति दी है। इनमें से एक दवा का एचआइवी वायरस, दूसरी का द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पहली बार मलेरिया के इलाज में और तीसरी एंटीवायरल दवा का उपयोग बीते साल इबोला वायरस पर किया जा चुका है। इस प्रोजेक्ट को ‘सोलिडेरिटी’ नाम दिया गया है। इन दवाओं में कोरोना वायरस का इलाज देखा जा रहा है। वहीं शोधकर्ताओं और सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियां इस वायरस का इलाज ढूंढने की दिशा में सार्स और मर्स से संक्रमित पशुओं के इलाज में अच्छा प्रदर्शन करने वाली एक अन्य दवा को भी देख रहे हैं। इसका मक़सद यह पता लगाना है कि इनमें से कौन सी दवा कोरोना वायरस के इलाज में कारगर साबित हो सकती है। डब्ल्यूएचओ के वैज्ञानिक कोरोना वायरस के संक्रमण को धीरे या पूरी तरह से खत्म कर देने की क्षमता रखने वाली इन दवाओं को सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस-2 कह रहे हैं। यह दवा संक्रमित रोगी और देखभाल में लगे चिकित्साकर्मियों को भी सुरक्षित रखेगी जिन्हें संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा है। इसके अलावा इन दवाओं के इलाज से रोगी के वेंटिलेटर तक जाने की गंभीर स्थिति को भी रोका जा सकेगा।