स्वास्थ्य

वर्ल्ड हैड-नेक कैंसर डे विशेष: 96 प्रतिशत युवा आबादी ने माना गंभीर बीमारियों का कारण है चबाने वाला तंबाकू

दुनिया जब 27 जुलाई का दिन विश्व गला व सिर कैंसर दिवस के रूप में मना रही है वहीं देश के 96 प्रतिशत युवा आबादी जानती है कि चबाने वाले तंबाकू उत्पाद ही कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैै।

Jul 27, 2017 / 03:04 pm

Nakul Devarshi

देशभर में प्रतिवर्ष दस लाख से अधिक मुख और गले के कैंसर रोगी सामने आ रहे है, और जिनमें से 50 प्रतिशत की मौत बीमारी की पहचान के अंतराल में ही हो जाती है। इसमें युवा अवस्था में होने वाली मौतों का कारण भी मुंह व गले का कैंसर मुख्य है। हालांकि पूरी दुनिया जब 27 जुलाई का दिन विश्व गला व सिर कैंसर दिवस के रूप में मना रही है वहीं देश के 96 प्रतिशत युवा आबादी जानती है कि चबाने वाले तंबाकू उत्पाद ही कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैै। इसका खुलासा ग्लोबल एडल्ट्स टोबैको सर्वे (गेट्स-2) 2017 द्वारा जारी रिपोर्ट में हुआ है।
वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिमस के स्टेट पैटर्न व सवाई मान सिंह चिकित्सालय के प्रोफेसर डा.पवन सिंघल बतातें है कि ग्लोबल एडल्ट्स टोबैको सर्वे (गेट्स-2) 2017 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में गत सात वर्षो में 15 साल से अधिक उम्र के 19.9 करोड़ लोग किसी न किसी रुप में चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का उपभोग करतें है। जबकि चबाने वाले तंबाकू उत्पादेां पर 85 प्रतिशत सचित्र चेतावनी को देखकर 46.7 प्रतिशत लोगों ने इसे छोड़ने के बारे में सोचा, जबकि वर्ष 2009 -10 में 33.8 प्रतिशत लोगों ने इसे छोड़ने के बारे में सोचा था। 
वहीं 96.4 प्रतिशत युवा वर्ग जानता है कि चबाने वाला तंबाकू ही गंभीर बीमारियों का कारण है। इसमें 96.4 प्रतिशत पुरुष, 94.8 प्रतिशत महिलाएं, वंही शहरी क्षेत्र में 96.8 प्रतिशत, ग्रामीण क्षेत्रों में 95 प्रतिशत लोग इसमें शामिल है। पिछले सर्वे में 88.8 प्रतिशत लोग ही जानतेथे कि गंभीर बीमारियों का कारण तंबाकू है। ये प्रतिशत बढ़ा है।
गेटस का इससे पहले 2009-10 में सर्वे हुआ था जिसके सात साल बाद दूसरा सर्वेे 2016-17 में हुआ जो हाल ही में रिलीज हुआ। यह सर्वे भारत सरकार के द्वारा विश्वस्वास्थ्य संगठन के द्वारा कराया है। यह सर्वे देश के 30 राज्यों व दो केंद्र शासित प्रदेशों में किया गया। वंही यह 74 हजार 73 लोगों पर इसका सर्वे किया गया। जिसकीआयु 15 वर्ष से अधिक थी। 
सरकार के द्वारा जनहित में इन उत्पादों पर लिये गए निर्णय से भारत में बढ़ते मुंह व गर्दन के कैंसर को कम करने में अहम भूमिका साबित हुई है। डा.सिंघल कहते हैं कि देशभर में लाखों लोगों में देरी से इस बीमारी की पहचान, अपर्याप्त इलाज व अनुपयुक्त पुनर्वास सहित सुविधाओं का अभाव है। करीब 30 साल पहले तक 60 से 70 साल की उम्र में मुंह और गले का कैंसर का कैंसर होता था लेकिन अब यह उम्र कम होकर 30 से 50 साल तक पहुंच गई। वही आजकल 20 से 25 वर्ष के कम उम्र के पाश्चात्यकरण तथा युवाओं में स्मोकिंग को फैशन व स्टाइल आइकान मानना है। मुंह के कैंसर के रोगियों की सर्वाधिक संख्या भारत में है।
डा.सिंघल बतातें है कि ‘इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिर्सच द्वारा वर्ष 2008 में प्रकाशित अनुमान के मुताबिक भारत में हैड नेक कैंसर के मामलों में वृद्वि देखी जा रही है। कैंसर में इन मामलों में नब्बे फीसदी तम्बाकु, मदिरा व सुपारी के सेवन से होतें है और इस प्रकार के कैंसर की रोकथाम की जा सकती है।’

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