दिग्विजय के इस बयान में भी है संकेत
पार्टी के मौन के साथ ही दिग्विजय चौटाला का बयान भी कुछ संकेत देता है। दिग्विजय चौटाला ने बयान में कहा है कि ओपी चौटाला ने तो इनसो को भंग करने का कोई आदेश नहीं दिया है। यदि वे कहते हैं तो मैं इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड दूंगा और इनसो को भंग कर दूंगा। इससे पहले दिग्विजय चौटाला ने इनसो को भंग करने के ओपी चौटाला के अधिकार को चुनौती देते हुए कहा था कि इनसो के संविधान के अनुसार ओपी चौटाला इनसो को भंग नहीं कर सकते। दिग्विजय ने कहा था कि उनके पिता अजय सिंह चौटाला ही संस्थापक की हैसियत इनसो को भंग करने का अधिकार रखते है।
यूं चला घटनाक्रम
सांसद दुष्यंत चौटाला और उनके भाई दिग्विजय चौटाला को ओपी चौटाला ने अनुशासनहीनता के आरोप में इंडियन नेशनल लोकदल की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया था। इसके बाद दोनों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। नोटिस पर सांसद दुष्यंत ने अपने निलंबन पर सबूत बताने के लिए पत्र लिखा था। उन्होंने जवाब देने के लिए 14 दिन का समय और देने की मांग की थी। इस पर इनेलो की राज्य कार्यकारिणी की पिछले 18 अक्टूबर को गुरूग्राम में आयोजित बैठक में दुष्यंत चौटला और दिग्विजय चौटाला के खिलाफ जांच अनुशासनात्मक कमेटी को सौंप दिया गया था। कमेटी को 24 अक्टूबर तक रिपोर्ट देने को कहा गया था। इसके बाद ओपी चौटाला के 25 अक्टूबर को जेल से बाहर आने पर रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाना थी। लेकिन ओपी चौटाला के 25 अक्टूबर को जेल से बाहर आकर दिल्ली में अस्पताल में दाखिल होने के बाद अनुशासन कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई को लेकर कोई चर्चा नहीं है। पार्टी के नेता व कार्याकर्ता नेतृृत्व की ओर से कोई फैसला किए जाने के इंतजार में है।
दुष्यंत ने पत्र लिखकर रखी अपनी बात
उधर सांसद दुष्यंत ने तीसरा पत्र भेजकर अनुशासन कमेटी को असंवैधानिक करार दिया है। उन्होंने यह भी कहा है कि अनुशासन कमेटी उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दे रही। इस तरह प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन किया जा रहा है। दुष्यंत ने दोहराया है कि उन्होंने कही भी अनुशासन नहीं तोडा है। पार्टी विरोधी कार्य भी नहीं किया है। पार्टी के नेता पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल के समय पार्टी में ओपी चौटाला और अन्य भाइयों के बीच रस्साकशी चली थी वैसे ही ओपी चौटाला के दो बेटों अजय सिंह चौटाला व अभय सिंह चौटाला के बीच यह घमासान छिडा हुआ है।