हंगामा खत्म होने की बजाए इतना बढ़ा कि महज एक घंटे बाद ही कांग्रेस हाईकमान को अपने आदेश वापस लेने पड़ गए। समन्वय समिति की सूची पर रोक लगाने को लेकर असल कहानी तो सामने नहीं आ सकी है। अलबत्ता कांग्रेस का एक खेमा इसे हुड्डा गुट का दबाव मान रहा है, तो दूसरा खेमा तंवर के अपरहैंड को जिम्मेदार मान रहा है।
कांग्रेस में पिछले कई दिनों से फेरबदल को लेकर कई माह से अटकलों का दौर चल रहा है। हुड्डा खेमा लगातार अशोक तंवर को पद से हटवाने के लिए प्रयासरत है। दूसरी तरफ अशोक तंवर हुड्डा को संगठन में पद दिए जाने के विरूद्ध अपने दावों को मजबूत करने में जुटे हुए हैं। दोनों नेताओं की आपसी खींचतान के चलते अभी तक पार्टी प्रभारी गुलाम नबी आजाद हरियाणा में आकर एक भी बैठक नहीं ले सके हैं।
शुक्रवार को कांग्रेस हाईकमान ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में चुनाव के मद्देनजर समन्वय समीति का गठन किया। इस समीति में इस कमेटी में कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर, किरण चौधरी, कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, कुलदीप बिश्नोई, महेंद्र प्रताप सिंह, कैप्टन अजय सिंह यादव, दीपेंद्र सिंह हुड्डा, नवीन जिंदल, कैलाशो सैनी, अनिल ठक्कर, कुलदीप शर्मा, जयवीर सिंह बाल्मीकि, जयपाल सिंह लाली को शामिल किया गया।
सूत्रों के अनुसार यह सूची पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) केसी वेणु गोपाल ही जारी कर सकते हैं, लेकिन यह सूची गुलाम नबी आजाद ने जारी कर दी। बताया जाता है कि इस सूची पर न तो हुड्डा खेमा सहमत था और न ही अशोक तंवर गुट इस पर सहमत हुआ। सभी वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने सूची जारी होने के बाद एकजुटता दिखाने की बजाए इसे अपने-अपने स्तर लेकर हंगामा कर दिया। जिसके बाद न केवल इस सूची को वेबसाइट से हटा दिया बल्कि अधिकारिक रूप से स्टे लगाकर वापस भी ले लिया।
अब रेवडिय़ों की तरह बंटेंगे पद,तंवर सुरक्षित
समन्वय समीति की सूची जारी करके उसे वापस लेने के बाद कांग्रेस हाईकमान ने अब नए सिरे से मंथन शुरू कर दिया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार आने वाले दिनों में हरियाणा के सभी कांग्रेसी नेताओं पर आधारिक कई कमेटियों का गठन किया जाएगा। इन कमेटियों में जहां सभी को एड्जस्ट किया जाएगा, वहीं पार्टी प्रदेश में कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त करने पर विचार कर रही है। जिसके बाद हरियाणा को जोन में बांटकर कार्यकारी अध्यक्ष लगाए जाएंगे और अशोक तंवर को अध्यक्ष रखा जाएगा।