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हिसार

मिशन 2019 में अहम सिद्ध होगा खट्टर का फैसला

हरियाणा सरकार द्वारा बृहस्पतिवार को विवादों में घिरे एचएसएससी के चेयरमैन को निलंबित किए जाने की कार्रवाई के दूरगामी परिणाम सामने आएंगे।

हिसारMay 17, 2018 / 10:12 pm

शंकर शर्मा

Manohar lal khattar

चंडीगढ़। हरियाणा सरकार द्वारा बृहस्पतिवार को विवादों में घिरे एचएसएससी के चेयरमैन को निलंबित किए जाने की कार्रवाई के दूरगामी परिणाम सामने आएंगे। पिछले करीब साढे तीन साल के कार्यकाल में आज पहला मौका है जब सरकार ने आगे बढक़र बेहद बोल्ड फैसला लिया है। इस फैसले के बाद विरोधी राजनीतिक दलों के हाथ से न केवल बड़ा मुद्दा चला गया है बल्कि इस फैसले को हरियाणा की जातिगत राजनीतिक के साथ जोडक़र देखा जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि सीएम के इस फैसले में अहम भूमिका भाजपा की सत्ता व संगठन में बैठे ब्राह्मण प्रतिनिधियों ने ही निभाई है।


हरियाणा के इतिहास में यह अपनी तरह का पहला घटनाक्रम है। प्रदेश की भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान सबसे पहली परीक्षा रामपाल प्रकरण में हुई थी। सरकार को सत्ता संभालने के महज एक माह के भीतर हुए रामपाल प्रकरण में सरकार की खासी फजीहत हुई थी। इस घटनाक्रम के दौरान प्रदेश सरकार ने नई-नई सत्ता संभालने का तर्क तथा विपक्ष को आगे रखकर अपना पल्ला झाड़ लिया था।


इसके बाद दो बार जाट आरक्षण आंदोलन में जहां हजारों करोड़ रुपए की संपत्ति नष्ट हो गई थी वहीं दर्जनों लोगों की मौत भी हुई थी। जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हरियाणा सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। जिसके चलते विपक्षी राजनीतिक दलों ने प्रदेश सरकार पर राज्य के लोगों को जातिवाद के नाम पर बांटने का आरोप लगाया। जाट आरक्षण आंदोलन आज भी हरियाणा सरकार के गले की फांस बना हुआ है। आज भी गाहे-बगाहे जाट आंदोलन के दौरान फेल हुए पुलिसिया तंत्र को लेकर सरकार को जवाब देना पड़ता है।


इसके बाद पिछले साल हुए राम रहीम प्रकरण में भी हरियाणा की समूचे देश ही नहीं विदेशों में भी फजीहत हुई थी। राम रहीम प्रकरण में सरकार की ढिलाई के चलते कई लोगों की मौत हो गई। इस घटनाक्रम में भी सरकार ने कथित तौर पर वोट की राजनीति के चलते समय रहते बोल्ड कदम नहीं उठाया था। तीन वर्षों के दौरान तीन बड़े घटनाक्रम होने के कारण हरियाणा में जातिवाद का मुद्दा बना हुआ है। कई जातियां खुलकर भाजपा का विरोध कर रही हैं।


अब ताजा घटनाक्रम ब्राह्मणों से संबंधित है। इस मामले में अगर सरकार बड़ा फैसला नहीं करती तो ब्राह्मण समुदाय के लोग भी सरकार से नाराज होकर विपक्ष के पाले में जा सकते थे। प्रदेश के कई जिलों में तो ब्राह्मणों द्वारा विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। आज सरकार ने बोर्ड चेयरमैन को निलंबित करके न केवल समूचे प्रदेश के ब्राह्मणों को बड़ा संदेश दिया है बल्कि ब्राह्मणों के बहाने विवादों में घिरे बोर्ड चेयरमैन की भी छुट्टी कर दी है।


सरकार के इस फैसले के दूरगामी राजनीतिक परिणाम सामने आएंगे। मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के इस फैसले से जहां ब्राह्मण समुदाय के लोग खुश हैं वहीं विपक्ष के हाथ से एक बड़ा मुद्दा सीएम ने छीन लिया है। दूसरा जाट आरक्षण आंदोलन तथा राम रहीम प्रकरण के दौरान मुख्यमंत्री की जो ढिलाई वाली छवि जनता में बनी थी आज वह भी टूट गई है। हरियाणा में बिगड़े हुए जातिगत संतुलन को साधने के लिए मुख्यमंत्री को ऐसे कई बड़े कदम उठाने की जरूरत है।

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