आईएनएलडी के प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने कहा कि केंद्र और दिल्ली सरकार अपने गिरेबान में झांके क्योंकि दिल्ली का प्रदूषण वहां गाड़ियों के धुएं और जगह-जगह कूड़े के ढ़ेरों को जलाने की वजह से है। उन्होंने हरियाणा सरकार और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वह केंद्र सरकार के दबाव में आकर हरियाणा के किसानों पर पराली जलाने के मामले दर्ज कर उनके साथ अन्याय कर रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि अब पराली को जलाए लगभग एक महीना बीत चुका है और फिर भी यदि वातावरण में स्मॉग है तो उसका कारण पराली का धुआं न होकर और हो सकते हैं। फिर भी यदि उस स्मॉग के लिए हरियाणा के किसानों को दोषी ठहराया जा रहा है और राज्य के मुख्यमंत्री उनके बचाव में आने की बजाय उनके ही विरुद्ध अपने अधिकारियों से मुकद्दमे दर्ज करवाए जा रहे हैं तो यह जानबूझकर किसानों को प्रताडि़त करने का प्रयास है।
अरोड़ा ने केंद्र और हरियाणा सरकार पर पराली की समस्या को न सुलझाने का आरोप लगाते हुए कहा कि दोनों ने ही एक तरफ तो अपने दायित्व से हाथ खींचा है और ऊपर से 18 लाख 65 हजार रुपए का जुर्माना किसानों से वसूल कर उन्हें दंडित किया है।
उन्होंने याद दिलाया कि सरकार के अपने आंकड़ों के अनुसार अभी तक 244 किसानों पर पराली जलाने के आरोप में एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। इसके अतिरिक्त सिरसा और फतेहाबाद जिले जो दिल्ली से बहुत दूर हैं, वहां पर सिरसा में 301 और फतेहाबाद में 369 किसानों के विरुद्ध कार्रवाई की गई है। स्पष्टत: यह भाजपा सरकार की किसान विरोधी मानसिकता है जिसकी घोर निंदा की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब तक सरकार किसानों को पराली की समस्या से निपटने के लिए कोई व्यावहारिक समाधान नहीं दे लेती तब तक उसे किसानों के विरुद्ध कोई कार्रवाई करने का नैतिक अधिकार नहीं है। उन्होंने मांग की कि अभी तक किसानों के विरुद्ध दर्ज किए सभी मामलों को तुरंत वापस लिया जाए और उनके विरुद्ध की जा रही कार्रवाई को रोका जाए।